🕊️ एपिसोड 5 – जब स्पर्श डराने लगे
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1. नैना की सुबह – एक टूटी हुई साँस
सुबह की हल्की धूप नैना के कमरे की खिड़की से भीतर आई,
पर उस पर कोई असर नहीं पड़ा।
वो बिस्तर से उठकर आईने के सामने खड़ी थी —
चेहरा फीका, आँखें रात की नमी से भरी।
पिछली रात आरव के कंधे पर सिर रखकर उसे जो सुकून मिला था,
आज वही सुकून एक अनजानी बेचैनी में बदल चुका था।
उसके ज़हन में बार-बार एक पुरानी परछाई लौट रही थी —
एक ऐसा अनुभव, जिसने उसके भीतर स्पर्श के खिलाफ एक दीवार खड़ी कर दी थी।
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2. फ्लैशबैक – वो रात, जब भरोसा टूटा था
छह साल पहले…
एक कॉलेज ट्रिप थी।
वहाँ एक सहपाठी ने दोस्ती के नाम पर नैना को अपने करीब आने दिया —
लेकिन फिर उसकी सीमाओं को बिना पूछे लांघने की कोशिश की।
नैना ने खुद को बचाया,
लेकिन वो एक रात, उसकी पूरी दुनिया बदल गई थी।
वो किसी को छूने नहीं देती थी,
ना किसी को खुद को छूने देती थी —
यहाँ तक कि भरोसे को भी नहीं।
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3. आरव का सरप्राइज़ – और नैना की उलझन
आरव उस दिन नैना के घर आया,
हाथ में था एक कपड़ा – नैना की पसंद की किताबों से बना स्कार्फ।
“तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ,” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
नैना ने कपड़ा लिया, पर जैसे ही आरव ने उसके कंधे पर रखने की कोशिश की —
नैना कांप गई।
उसने खुद को पीछे खींचा और आवाज़ तेज़ हो गई,
"प्लीज़... मत छुओ मुझे!"
आरव हक्का-बक्का रह गया।
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4. चुप्पी के आँसू – और आरव का धैर्य
नैना खुद को कोस रही थी,
"मैंने फिर से उसे डरा दिया... वो भी तो बस मेरा ख्याल रख रहा था।"
दूसरी तरफ, आरव भी टूट गया था —
पर उसने खुद को संभाला।
वो नैना को एक नोट भेजता है:
> "मैं जानता हूँ, हर स्पर्श प्यार का इशारा नहीं होता।
और मैं तब तक इंतज़ार करूँगा जब तक तुम्हारी आत्मा मेरी मौजूदगी को स्वीकार ना कर ले।"
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5. लाइब्रेरी की मुलाक़ात – सॉरी के बिना माफ़ी
अगले दिन नैना ने आरव को लाइब्रेरी बुलाया।
ना उसने माफ़ी माँगी, ना आरव ने सवाल किए।
बस दोनों बैठकर किताबों में खो गए —
बीच में एक कप कॉफी रखा था,
जिसे दोनों ने छुआ…
पर एक-दूसरे को नहीं।
ख़ामोशी अब भी थी,
पर वो डरावनी नहीं…
बल्कि समझदार लग रही थी।
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6. नैना का खुलना – एक डायरी के पन्नों से
रात को नैना ने अपनी डायरी में लिखा:
> "आरव का धैर्य मेरे लिए नया है।
उसने मुझे पकड़ने की नहीं, सुनने की कोशिश की है।
क्या मुझे भी अब डर के पीछे नहीं, भरोसे के पास जाना चाहिए?"
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7. आरव का नया अंदाज़ – एक स्पर्श बिना स्पर्श के
कुछ दिन बाद, आरव ने नैना को एक पेपर फ्लावर भेंट किया।
उसने कहा:
“इसमें मेरी उंगलियाँ नहीं, मेरी भावना है।
तुम इसे जब चाहो, जैसे चाहो, अपनी दुनिया में शामिल कर सकती हो।
मैं अब भी वहीं हूँ — एक कोना, जो कभी आवाज़ नहीं करेगा,
बस इंतज़ार करेगा।”
नैना की आँखों में कुछ भर आया।
उसने पहली बार आरव का हाथ देखा, पर छुआ नहीं।
बस कहा,
“शायद मैं एक दिन इस डर से बाहर आ पाऊँ…
अगर तुम यूँ ही चुपचाप साथ रहे।”
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8. एक नई शुरुआत – बिना कोई वादा किए
वो दिन ख़ास नहीं था,
ना कोई त्यौहार, ना कोई मौसम का बदला रंग।
पर उस शाम नैना ने पहली बार खुद से कहा:
“मैं फिर से प्यार को मौका दूँगी…
पर इस बार मेरी शर्तों पर।”
आरव और नैना झील के किनारे बैठे थे,
हवा हल्की चल रही थी,
और दोनों के बीच एक चुप्पी थी —
जिसमें अब डर नहीं था…
एक धीमी उम्मीद थी।
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🔚 एपिसोड 5 समाप्त – जब स्पर्श डराने लगे