Pahli Nazar ki Khamoshi - 21 in Hindi Anything by Mehul Pasaya books and stories PDF | पहली नज़र की खामोशी - 21

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पहली नज़र की खामोशी - 21


🌌 एपिसोड 21 – जब आसमान झुक आया

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1. शाम की थकान – लेकिन दिल में हलचल

पूरे दिन की भागदौड़ के बाद
आरव और नैना ने डिनर किया।
हल्की-हल्की थकावट उनके चेहरे पर थी,
लेकिन दिल में कुछ अनकहा, कुछ अधूरा-सा था।

आरव ने नैना से कहा:

"चलो, आज बालकनी में बैठते हैं।
काफ़ी दिनों से चाँदनी से मुलाकात नहीं हुई…"


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2. चाय की प्याली – और उन दोनों की चुप्पी

दोनों ने दो मग में अदरक वाली चाय बनाई।

बालकनी में बैठते हुए नैना ने आरव की ओर देखा:

"आरव, कभी-कभी ऐसा क्यों लगता है कि
हमारे पास सब कुछ है…
फिर भी दिल कुछ माँगता है?"

आरव मुस्कराया:

"शायद इसलिए…
क्योंकि हमारे सपनों की उड़ान अब अकेले नहीं,
किसी तीसरे की साँसों के साथ जुड़ गई है।"


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3. तारों भरी रात – और एक गिरता तारा

अचानक नैना ने ऊपर इशारा किया:

"देखो! टूटता तारा!"

एक चमकीला तारा आसमान से नीचे गिरा।

दोनों ने एक साथ अपनी आँखें बंद कीं
और चुपचाप कुछ माँगा।

जब आँखें खुलीं —
आरव ने पूछा:

"क्या माँगा?"

नैना बोली:

"कहा नहीं जा सकता… वरना पूरी नहीं होती।
पर तुम बताओ?"

आरव ने मुस्कराते हुए कहा:

"मैंने माँगा कि तुम हर जन्म में मेरी नैना बनो।"


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4. तारे, वादे और आँसुओं की नमी

नैना की आँखें भीग गईं।

"कभी-कभी डर लगता है…
कि इतनी खुशी कहीं छिन न जाए।
इतना प्यार कहीं किसी नज़र न लग जाए…"

आरव ने उसका हाथ थामा:

"तो चलो, एक वादा करते हैं —
अगर कभी हमारी ज़िंदगी में तूफ़ान आए,
तो हम भागेंगे नहीं,
एक-दूसरे के हाथ और कसकर थामेंगे।"


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5. पुरानी बातें – और रिश्ते का पलड़ा

नैना बोली:

"याद है, जब पहली बार हम मिले थे,
मैं कितनी चुप रहती थी?"

"और अब देखो, तुम सबसे ज़्यादा बोलती हो!"
आरव हँस पड़ा।

"शायद इसलिए…
क्योंकि अब मेरी चुप्पियाँ तुमने पढ़ ली हैं।
और मैं तुम्हारी ख़ामोशियाँ सुन सकती हूँ…"


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6. माँ बनने की चिंता – और एक पिता की तैयारी

नैना ने अचानक गंभीर होकर कहा:

"मैं माँ बनने को लेकर नर्वस हूँ।
अगर मैं परफेक्ट माँ नहीं बन सकी तो?"

आरव ने उसके कंधे पर सिर रखकर कहा:

"कोई भी माँ परफेक्ट नहीं होती, नैना।
तुम जैसी हो, वैसी ही एक मासूम के लिए दुनिया की सबसे सुंदर माँ बनोगी।
और मैं…
हर कदम पर तुम्हारा हाथ थामे रहूँगा।"


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7. बालकनी से आसमान तक – और आत्मिक शांति

तारे धीरे-धीरे झिलमिला रहे थे।
ठंडी हवा के झोंके नैना की साड़ी से खेल रहे थे।

उसने धीरे से अपने पेट पर हाथ रखा और कहा:

"तुम सुन रहे हो ना?
तुम्हारे पापा ने अभी-अभी हम दोनों से वादा किया है…"

और जैसे कोई हल्की हलचल भीतर से जवाब दे रही हो।


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8. डायरी की आखिरी पंक्तियाँ – जब तारे भी सुनते हैं

> "आज मैंने आसमान को झुकते देखा।
वो गिरता तारा,
बस कोई चमकीली धूल नहीं था —
वो हमारी भावनाओं का एक गवाह था।
और उस तारे के सामने जो वादा लिया गया…
शायद वो वादा हमारे रिश्ते की जड़ है।
अब अगर कभी जीवन में अँधेरा हो भी,
तो मुझे यकीन है —
ये आसमान फिर से हमारे लिए झुकेगा…"




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🔚 एपिसोड 21 समाप्त – जब आसमान झुक आया