🖋️ एपिसोड 9: “जब ज़िंदगी इम्तहान लेती है…”
> “प्यार सिर्फ कह देने से पूरा नहीं होता…
असली इम्तहान तब होता है, जब हालात तुम्हारे खिलाफ होते हैं।”
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स्थान: दिल्ली — रेहाना और आरव का घर, सुबह 7:00 बजे
आज की सुबह बाकी दिनों से अलग थी।
रसोई में चाय की महक थी,
आरव बालकनी में लैपटॉप लेकर बैठा था।
रेहाना फूलों को पानी दे रही थी, पर आज चेहरे पर एक चिंता थी।
> “आरव… बात करनी है।”
आरव ने सर उठाया —
उसकी आँखें थकी हुई थीं।
> “हां, बोलो…”
“तुम पिछले एक हफ्ते से बहुत टेंशन में हो। ऑफिस की बात है?”
“कुछ नहीं… एक क्लाइंट लॉस हुआ है। डील बड़ी थी।
कंपनी में अब मेरी पोजीशन खतरे में है।”
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Scene Shift — उसी दिन दोपहर
रेहाना अकेली बैठी थी।
उसने आरव की डायरी को देखा — कुछ दिन से वो बंद थी।
वो समझ चुकी थी —
ये सिर्फ काम का तनाव नहीं है, ये आत्मविश्वास का टूटना भी है।
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फ्लैशबैक — आरव के करियर की शुरुआत
जब उन्होंने शादी के बाद नई ज़िंदगी शुरू की थी,
तब आरव के पास एक बड़ा प्रोजेक्ट था।
हर चीज़ प्लान के मुताबिक चल रही थी।
लेकिन अब…
> “जब सब कुछ सही चल रहा होता है, तब ज़िंदगी इम्तहान लेती है।”
यही तो कहा था रेहाना ने उस दिन…
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अगली रात — डिनर टेबल पर फिर चुप्पी
रेहाना ने धीरे से आरव का हाथ पकड़ा।
> “तुम मुझसे भाग क्यों रहे हो?”
“मैं हार रहा हूँ, रेहाना।
मैं चाहता था तुम्हें एक सुकून भरी ज़िंदगी दूँ… लेकिन अब वो भी नहीं दे पा रहा।”
> “मैंने तुम्हें सपनों के लिए नहीं चुना था,
मैंने तुम्हें इसलिए चुना क्योंकि तुम मेरे साथ थे — हर अच्छे-बुरे वक़्त में।”
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Scene Change — रेहाना की किताबों वाली क्लास
अगले दिन रेहाना बच्चों को एक नई कहानी पढ़ा रही थी —
> “एक आदमी जिसके पास सब कुछ था, पर उसने खुद को खो दिया…
और फिर उसे एक आइना मिला — जिसने उसे खुद से मिलवाया।”
उसने कहानी खत्म की…
और खुद को पहचान लिया।
> “मैं वही आइना बनूँगी — आरव के लिए।”
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उसी रात — रेहाना की पहल
उसने आरव के लिए एक छोटा-सा सरप्राइज रखा:
> • उसकी पसंदीदा किताब
• एक नोट: “तुम हार नहीं सकते… क्योंकि तुम अकेले नहीं हो।”
• और एक ऑडियो रिकॉर्डिंग — उसकी आवाज़ में
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🎧 रेहाना की आवाज़ — रिकॉर्डिंग में
> “प्यारे आरव,
तुम्हारी खामोशियाँ मुझसे बातें करती हैं।
तुम्हारी थकावट अब मेरी बेचैनी बन चुकी है।
मैं जानती हूँ, तुम्हारे सपने टूट रहे हैं…
लेकिन क्या तुम भूल गए कि मैं तुम्हारा सबसे बड़ा सपना हूँ?”
“चलो फिर से खड़े होते हैं —
साथ में, हाथ थामकर… जैसे पहली बार किया था।”
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आरव की आँखें नम हो गईं।
उसने पहली बार इतने दिनों बाद डायरी खोली।
और लिखा:
> _“तुम सिर्फ मेरी कहानी नहीं…
तुम मेरी हिम्मत हो।
अब जब तुम साथ हो,
तो हार कैसे हो सकती है?”_
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Scene Change — कुछ दिन बाद
आरव ने एक नई पिच तैयार की।
रात-रात जागकर — मेहनत, रिसर्च, और खुद पर यकीन के साथ।
रेहाना उसकी हर स्लाइड चेक करती,
हर लाइन में उसका आत्मविश्वास बढ़ाती।
और आख़िरकार —
उसे एक नई कंपनी से बड़ा ऑफर मिला।
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आरव का पहला मैसेज:
> “We did it.”
रेहाना का रिप्लाई —
> “नहीं… हमने जिया इसे।”
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❤️ एक शाम — दोनों साथ बैठे चाय पीते हुए
> “क्या पता था कि इतने इम्तहान आएंगे?”
“लेकिन क्या हम पास हुए?”
“हमने एक-दूसरे को नहीं छोड़ा…
इससे बड़ी जीत क्या होगी?”
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Scene End — एक नई डायरी, नया पन्ना
आरव ने रेहाना को एक नई डायरी दी।
उस पर लिखा था:
“अब जब इम्तहान गुजर गया है,
तो चलो नई कहानी शुरू करें…”
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✨ एपिसोड की आख़िरी लाइन:
> "रिश्ते जब इम्तहान में पास हो जाते हैं…
तो फिर वो किस्से नहीं रहते —
वो दुआ बन जाते हैं।”
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🔔 Episode 10 Preview: “जब मोहब्बत मुकम्मल होती है…”
> क्या अब सब ठीक हो जाएगा?
या ज़िंदगी के नए मोड़ पर कुछ और चुनौतियाँ आएँगी?