Age Doesn't Matter in Love - 14 in Hindi Drama by Rubina Bagawan books and stories PDF | Age Doesn't Matter in Love - 14

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Age Doesn't Matter in Love - 14

आप मुझे कहां लेकर जा रहे हैं?"
लड़की ने घबराई हुई आँखों से राघव की ओर देखते हुए पूछा। उसकी आवाज़ में डर, संकोच और टूटा हुआ आत्मविश्वास साफ झलक रहा था।

राघव ने एक पल को उसकी आँखों में झाँका और नरम लहजे में कहा,
"मेरे घर..."

लड़की ने तुरंत सिर हिलाते हुए धीमी, लेकिन कड़ी आवाज़ में कहा,
"नहीं... नहीं... मुझे किसी अनाथ आश्रम में छोड़ दीजिए। मैं... मैं उस दुनिया की लड़की हूँ जिसे उसका मामा एक कोठे पर बेच आया था..."

राघव का दिल एक पल को कांप गया।

लड़की बोलती रही, उसकी आवाज़ अब कांपने लगी थी —
"मेरे माँ-बाप बचपन में ही गुज़र गए... और कोई भी इस समाज में एक कोठे वाली लड़की को अपने घर नहीं लाता।"

इतना कहकर वह चुप हो गई। उसका चेहरा नीचे झुक गया... जैसे खुद से भी शर्मिंदा हो।

राघव कुछ नहीं बोला। बस गाड़ी चलाता रहा… लेकिन उसकी आँखों में अब एक सवाल था — क्या सिर्फ हालात की वजह से किसी का किरदार तय हो जाता है?

दूसरी तरफ…

आन्या और अभिमान के बीच फोन पर बातचीत हो रही थी।

अभिमान की आवाज़ में गुस्सा झलक रहा था,
"तुम बिना मिले चली गई? कैसे कर सकती हो ऐसा?"

आन्या मासूमियत से हँसते हुए बोली,
"अरे आप ही तो लेट थे, और हाँ... मुझे आपको एक बात बतानी है।  स्कूल ट्रीप  जा रही हूँ।"

"कहाँ?"
अभिमान ने तुरंत पूछा।

"आसाम," आन्या ने चहकते हुए जवाब दिया।
"लेकिन पापा से परमिशन लेनी है, पता नहीं देंगे या नहीं..."

अभिमान ने प्यार भरी सख्ती से कहा,
"कल सुबह 6 बजे रेस्टोरेंट आ जाना। बात करनी है तुमसे।"

आन्या झट से बोली,
"इतनी सुबह?"

अभिमान हँसते हुए बोला,
"हां, क्योंकि तुम बिना मिले गई थी — अब उसकी भरपाई करनी पड़ेगी। अगर नहीं आई तो... देख लेना!"

आन्या मुँह बनाकर बोली,
"आप तो बहुत खडूस हो, मिस्टर रूड!"

"अच्छा? तो फिर मिलो कल... बताता हूँ कितना खडूस हूँ!"
अभिमान ने हँसते हुए जवाब दिया।

"हम्म..."
आन्या इतराते हुए बोली।

"मेरा बच्चा क्या कर रहा है?"
अभिमान ने नर्मी से पूछा।

"आपका बच्चा पढ़ाई कर रहा है।"
आन्या ने मुस्कराकर कहा।

अभिमान ने हँसते हुए फोन पर ही प्यार से कहा,
"उम्माह... गुड नाइट!"

आन्या ने शर्माते हुए जवाब दिया,
"बदमाश कहीं के... गुड नाइट!"

करीब एक घंटे बाद...

राघव अपनी गाड़ी रोककर अपने अपार्टमेंट के नीचे पहुँचा।
लड़की चुपचाप पीछे बैठी थी, डरी हुई… खोई हुई।

राघव ने उसे इशारे से चलने को कहा।
दोनों लिफ्ट में चढ़े और कुछ ही मिनटों में फ्लैट के अंदर थे।

राघव ने हॉल की लाइट ऑन की और लड़की की तरफ देखा,
"भूख लगी है?"

लड़की ने शांत स्वर में, जैसे अपनी हिम्मत समेटकर कहा,
"पिछले चार दिन से कुछ नहीं खाया..."

राघव ने हल्का सिर झुकाया और पूछा,
"तुम्हें खाना बनाना आता है?"

लड़की ने सिर हिलाया।

राघव ने अपनी थकान भरी आवाज़ में कहा,
"देखो, सामने किचन है। पहले फ्रेश हो जाओ, फिर खाना बना लेना।"

उसने अलमारी से एक साफ़ टीशर्ट और ट्राउज़र निकालकर उसकी तरफ बढ़ाए और अपने रूम की ओर इशारा किया,
"ये पहन लो… अंदर वॉशरूम है।"

लड़की चुपचाप उन कपड़ों को लेकर कमरे की ओर बढ़ गई।

राघव के फ्लैट में एक बड़ा सा मास्टर बेडरूम था, हॉल था जिसमें टीवी लगा था, ओपन किचन और बालकनी भी खुली-सी थी — एकदम शांत, अकेला घर।

थोड़ी देर बाद लड़की बाहर आई, अब थोड़ी साफ-सुथरी और थोड़ी कम डरी हुई।

राघव बिना उसकी ओर देखे सीधे वॉशरूम में चला गया।
हवा में अब कुछ बदल रहा था...

क्या वो लड़की इस नई ज़िंदगी को स्वीकार कर पाएगी?

क्या राघव उसे सिर्फ पनाह देगा या उसकी तक़दीर भी बदलेगा?

और इधर अभिमान और आन्या की कहानी किस ओर बढ़ेगी?