(निशा और उसकी बेटी आद्या को नागलोक की रहस्यमयी नाग सेविका ने लौटाया है। आद्या की हथेली पर उभरता नागचिह्न बताता है कि वह “नाग रक्षिका” बनी है, लेकिन दुश्मन का पता नहीं चलता। निशा को पति सनी पर शक होता है। निशा अनाथालय जाकर अपने अतीत की फाइल देखती है, जिसमें एक सोने का कड़ा और आद्या के चिह्न का संबंध छुपा है। घर लौटने पर सनी का व्यवहार संदिग्ध लगता है, पर उनकी चिंता भी दिखती है। निशा के मन में रहस्य और सवाल गहराते हैं — नागचिह्न का सच, सनी की असलियत, और नागलोक का बड़ा खतरा। अब आगे)
''घर की ओर या संकटों की ओर"
दो हफ्ते गुजर चुके थे।
सनी ने अपने बैग की पट्टियाँ कसते हुए गहरी सांस भरी। उसके चेहरे पर उत्साह और बेचैनी का अजीब सा मिश्रण था। सामने उसकी माँ, हेतल, चुपचाप बैठी थी, लेकिन उसका मन कहीं और था। उसका चेहरा उदास था, और आँखों में एक अनजाना डर साफ़ झलक रहा था। वह बार-बार अपने हाथ मसल रही थी, जैसे भीतर से टूट रही हो। मीनल भी साथ थी, जो निशा का सामान धीरे-धीरे पैक कर रही थी, उसकी आँखों में भी बेचैनी झलक रही थी।
"निशा और आद्या नहीं जाएंगी," हेतल ने आवाज़ में अचानक कठोरता भर दी।
सनी की सांस ठहर गई। उसने घबराई हुई माँ की तरफ देखा, जो दृढ़ता के साथ डर से जूझ रही थी।
"माँ, आप क्या चाहती हैं?" सनी ने धीरे से पूछा।
"मैं… मैं क्या चाहती हूँ?" हेतल ने सिर झुकाया और फिर कुछ देर के लिए चुप्पी साध ली। "निशा अभी कमजोर है। मेरी बहू और पोती को मेरी देखभाल की जरूरत है। और अब तुम कह रहे हो कि वो दोनों इतनी दूर चली जाएँगी?"
सनी ने माँ के हाथों को अपनी हथेली में लेकर मजबूती से कहा, "माँ, मैंने डॉक्टर से मंजूरी ले ली है। निशा और आद्या लंबा सफर कर सकती हैं। अगर आप चाहें तो हम छुट्टियों में आपके पास आते रहेंगे। आप हमारे बिना नहीं रहोगी।"
हेतल के चेहरे पर नरमी आई, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी डर था। निशा चुपचाप सब सुन रही थी। उसे समझ आ गया था कि पिछली बार जब उसे यहां छोड़ दिया था तो वह नाराज़ थी, लेकिन इस बार सनी पूरी कोशिश कर रहा है कि उसे साथ ले जाए। निशा के दिल में एक हल्की उम्मीद जगी कि शायद सब ठीक हो जाएगा।
सनी के मन में कुछ और भी चल रहा था।
अचानक उसकी यादें उसे एक गुप्त रास्ते पर ले गईं — वह जगह जहां वह तीन हफ्तों से छुपकर जा रहा था। वही जगह जहाँ उसने उस रहस्यमयी बालक और मायावी निशा से पहली बार मुलाकात की थी।
सनी ने कदम तेज़ कर दिए। चारों ओर घने पेड़ थे, और हवा में एक अजीब सी ठंडक थी। ज़मीन पर सूखे पत्ते बिखरे थे, और दूर कहीं पक्षियों की मद्धम आवाज़ सुनाई दे रही थी। वह हर कोने में कुछ तलाश रहा था।
तभी पीछे से एक धीमी, गूढ़ आवाज़ आई — "जिसे तुम ढूंढ रहे हो, वह सामने हो तो भी तुम्हें दिखेगा नहीं, और जो दिख रहा है, वह सिर्फ छलावा है।"
सनी चौंक गया और तुरंत मुड़कर देखा। सामने एक साधु खड़ा था, जिसकी आँखों में गहराई थी और जो अपने अंदर एक अनोखा राज़ समेटे हुए था।
सनी की हिम्मत बढ़ी और उसने कहा, "क्या आप वही हैं जिन्होंने उस आधे मानव-आधे नाग से मुझे और निशा को बचाया था?"
साधु ने हँसते हुए सिर हिलाया, "हाँ, वही। लेकिन बचाव की कीमत समझनी होगी। यह कहानी अभी शुरू ही हुई है।"
सनी ने ठहरकर पूछा, "यह आधा मानव, आधा नाग कौन था? और मेरा या निशा का उससे क्या संबंध है?"
साधु ने झुमरी हुई दाढ़ी को सहलाते हुए कहा, "वो नाग साधारण नहीं था। उसकी आधी मानव और आधी नाग रूप की कहानी इस स्थान की गहराइयों में दबी हुई है। निशा, तुम्हारे जीवन की उथल-पुथल इसी रहस्य से जुड़ी है। तुम्हें अब सच का सामना करना होगा।"
सनी के दिल में उथल-पुथल मच गई।
साधु ने गहरी सांस ली और कहा, "इस वन में वनधरा जाति का एक नाग था। वह खासतौर पर गर्भवती स्त्रियों पर हमला करता है।"
सनी हैरान होकर बोला, "केवल गर्भवती स्त्रियाँ?"
साधु ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया, "हाँ। क्योंकि उसके भीतर जन्म को लेकर घृणा है। वैसे, क्या तुम्हारी पत्नी गर्भावस्था में घर से बाहर निकलती थी?"
सनी ने झिझकते हुए कहा, "यह घना जंगल है, खतरे बने रहते हैं… इसलिए नहीं।"
साधु ने हल्की मुस्कान दी, जिसमें व्यंग्य था।
"उसने तुम्हें सम्मोहित किया था, ताकि तुम खुद ही उसे — अपनी पत्नी और अजन्मे बच्चे को — बाहर ले आओ। तभी वह उन पर हमला कर सके।"
सनी का चेहरा पीला पड़ गया। धीरे-धीरे उसके मन में यकीन पनपने लगा।
"उस दिन आपने उस नाग-पुरुष पर क्या फेंका था?" उसने पूछा।
साधु ने झोली से एक छोटी चमकती पोटली निकाली, जिसमें से हल्की धूप की खुशबू आ रही थी।
"यह गरुण भस्म है," साधु ने कहा। "नागों के लिए विष से भी घातक। पर मेरा उद्देश्य उसे मारना नहीं था।"
सनी ने हैरानी से पूछा, "तो फिर?"
"उसे चेतावनी देना चाहता था कि अब वह अकेला नहीं है। कोई है जो तुम्हारे और उस मासूम के बीच खड़ा है।"
साधु ने फिर पोटली निकाली और एक चुटकी भस्म सनी की हथेली पर रख दी।
"इसे वहीं फैला देना, जहाँ वे रहते हैं," साधु की आवाज़ गंभीर हो गई। "यह गरुण भस्म नागों के लिए दीवार से भी अडिग है। लेकिन ध्यान रखना — इसका असर सिर्फ सोलह से सत्रह दिन तक रहता है। उससे पहले उसे मेरे पास ले आना। मैं उस बच्ची के लिए रक्षा कवच बनाऊंगा।"
तभी हेतल का फोन आया — "बेटा! लड़की हुई है। तू पापा बन गया, जल्दी आ जा।"
सनी को पिता बनने की खुशी से ज़्यादा बेटी और पत्नी की सुरक्षा की चिंता सताने लगी। यह कैसे पता चला कि बेटी हुई? सोचते हुए सनी चुपचाप फोन काटकर अपनी माँ की आँखों में देखने लगा।
वैसे तो वह इन सब बातों पर यकीन नहीं करता था — मंत्र, तंत्र, नाग-तांत्रिक कथाएँ — सब उसे बचपन से कल्पना लगती थीं। लेकिन उस दिन, जब उसने आधा मानव-आधा नाग देखा, उसके सारे तर्क खत्म हो गए।
अब अगर कोई कह दे कि "तू इच्छाधारी चूहा है," तो भी वह सिर हिलाकर मान लेगा।
साधु की ओर सिर झुकाकर उसने हाथ जोड़े, "मैं जल्दी ही दोनों को लेकर आऊंगा।"
फिर वह अपनी जीप में बैठा और धूल उड़ाते हुए रास्ते में गायब हो गया।
घर पर हेतल बोली, "कुछ कहना चाहती हूँ…"
"माँ!" सनी ने कहा, "समझो… दस्तावेज़ बनवाने हैं, कई जगह साइन कराने हैं। देर करेंगे तो दिक्कत होगी।"
लेकिन वह जानता था, अब वक्त कम है। नाग की छाया मंडरा रही थी।
सनी ने सामान उठाया और कहा, "चलो, अंधेरा होने से पहले पहुंचना है।"
मीनल ने भौंहें उठाकर मुस्कुराते हुए कहा, "आप कब से अंधेरे से डरने लगे, मिस्टर फॉरेस्ट पुलिस ऑफ़िसर?"
सनी ने नकली हंसी हंसते हुए कहा, "हा हा हा… बेड जोक!"
लेकिन सनी जानता था कि यह मजाक नहीं था। अंधेरा उसके लिए वक्त नहीं, चेतावनी था — जिसमें उसकी पत्नी और बेटी के लिए खतरे छिपे थे।
उसने स्टीयरिंग कसकर पकड़ ली, और accelerator पर पैर ऐसा दबाया जैसे वक्त से रेस लगा रहा हो।
कार जंगल की पगडंडियों पर इतनी तेज़ दौड़ी कि अगर सामने चीता भी आ जाता, तो भी वह सोच में पड़ जाता — "क्या मैं भी इतनी तेज़ दौड़ सकता हूँ?"
सनी ने गाड़ी की रफ्तार और तेज़ कर दी।
पेड़ों की छायाएँ पीछे छूट रही थीं, और हवा में एक अनकही घबराहट थी।
अब उसके लिए मंजिल से ज़्यादा वक्त से पहले पहुंचना ज़रूरी था — क्योंकि अंधेरा सिर्फ रात नहीं लाता… वह किसी का इंतजार भी करता है।
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1. आद्या के हथेली पर उभरने वाला रहस्यमयी नाग चिह्न आखिर क्या राज़ छुपा रहा है?
2. सनी और निशा के जीवन में अचानक आए आधे मानव-आधे नाग का क्या मतलब है, और इसका उनके परिवार से क्या संबंध है?
3. गरुण भस्म की पोटली और साधु की चेतावनी के पीछे छुपा खतरा क्या है, और क्या सनी समय रहते अपनी पत्नी और बेटी को बचा पाएगा?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "विषैला इश्क"