Chhaya - Bhram ya Jaal - 8 in Hindi Horror Stories by Meenakshi Mini books and stories PDF | छाया भ्रम या जाल - भाग 8

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छाया भ्रम या जाल - भाग 8

भाग 8

सबने डॉ. मेहता से संपर्क करने का फैसला कर लिया था, हालाँकि उनके मन में हिचकिचाहट और आशंका दोनों थी. उन्हें पता था कि वे एक ऐसे व्यक्ति से मदद माँगने जा रहे थे जो उनकी बातों को या तो पूरी तरह से अविश्वसनीय मान सकता था, या फिर खुद ही खतरे में पड़ सकता था. लेकिन उनके पास कोई और रास्ता नहीं था. रिया ने उन्हें फोन किया, अपनी स्थिति को यथासंभव सामान्य रखने की कोशिश की, लेकिन उसकी काँपती आवाज़ उसकी अंदरूनी घबराहट को बयाँ कर रही थी. उसने डॉ. मेहता को बताया कि उन्हें एक बहुत ही असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ रहा है जो उनकी समझ से परे है, और उन्हें उनकी विशेषज्ञता की सख्त ज़रूरत है. डॉ. मेहता ने, अपनी विद्वता और खुले विचारों के लिए जाने जाते थे, रिया की बात धैर्यपूर्वक सुनी. उन्हें अजीबोगरीब घटनाओं में हमेशा से रुचि थी, और रिया की कहानी ने उनके शोध की जिज्ञासा को जगा दिया था. उन्होंने अगले दिन समूह से मिलने के लिए हाँ कर दी, बशर्ते वे अपनी बात पूरी ईमानदारी से कहें और कुछ भी न छिपाएँ.

अगले दिन, डॉ. मेहता अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स पहुँचे. उनका आगमन एक आशा की किरण लेकर आया था, हालाँकि उनके चेहरे पर भी एक गंभीर चिंतन की रेखा थी. वह लगभग 60 साल के एक सुशिक्षित व्यक्ति थे, उनकी आँखों में एक गहरी चमक थी जो उनके वर्षों के ज्ञान और असीमित जिज्ञासा को दर्शाती थी. उनके बाल सलेटी थे, करीने से संवारे हुए थे और उन्होंने एक साधारण लेकिन सुरुचिपूर्ण खादी की जैकेट पहनी थी, जो उनके अकादमिक स्वभाव को दर्शाती थी. उन्हें देखते ही समूह को थोड़ी राहत महसूस हुई, जैसे किसी तूफ़ान में फँसे जहाज़ को किनारे की उम्मीद दिखी हो. उन्होंने अपनी सारी आपबीती विस्तार से बताई – बेसमेंट का भयानक अनुभव, छिपा हुआ दरवाज़ा, उस पर के विकृत निशान जो अब उनके हर सपने में आते थे, रिया का बढ़ता हुआ डिजिटल उत्पीड़न जो उसके सामाजिक जीवन को नष्ट कर रहा था, छाया की रहस्यमयी फुसफुसाहटें और परछाइयाँ जो उसे अकेलेपन में भी बेचैन करती थीं, और विवेक के पुराने नक्शे जो नए डरावने सुराग दे रहे थे. श्रीमती शर्मा अपनी बढ़ती हुई बेचैनी और भ्रम के कारण बैठक में शामिल नहीं हो पाई थीं, लेकिन अनुराग ने उनकी बिगड़ती स्थिति और प्राचीन चेतावनियों के बारे में बताया, जिससे डॉ. मेहता के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गईं.

डॉ. मेहता ने सब कुछ बड़े ध्यान से सुना, बीच-बीच में अपनी छोटी नोटबुक में नोट्स लेते रहे. वह हर बात को पूरी गंभीरता से सुन रहे थे, जैसे कि हर शब्द में कोई गहरा अर्थ छिपा हो. उन्होंने विवेक द्वारा खींची गई निशानों की तस्वीरें और पुराने नक्शे देखे, और उनके चेहरे पर अब स्पष्ट रूप से गंभीरता और विस्मय के भाव छा गए थे. उन्होंने कई बार ज़ूम करके निशानों को देखा, अपनी भौंहें सिकोड़ीं, और फिर गहरी साँस ली. "ये निशान... ये कोई सामान्य प्रतीक नहीं हैं," उन्होंने धीमी, गंभीर आवाज़ में कहा, जैसे कि वह खुद भी उन प्रतीकों के प्राचीन रहस्य को समझने की कोशिश कर रहे हों. "ये बहुत पुराने हैं, शायद हज़ार साल से भी ज़्यादा पुराने. ये विस्मृत देवताओं या अज्ञात शक्तियों से जुड़े हैं, जिनका ज़िक्र सिर्फ़ बहुत ही दुर्लभ और प्रतिबंधित ग्रंथों में मिलता है, जिन्हें आम तौर पर केवल गूढ़ विद्याओं के विशेषज्ञ ही जानते हैं."

उन्होंने समझाया, "भारतीय पौराणिक कथाओं और प्राचीन गूढ़ विद्याओं में ऐसे कई स्थानों का उल्लेख है जहाँ अशुभ ऊर्जाओं या अस्तित्वों को 'बांधा' गया था. अक्सर इन्हें किसी वस्तु, जैसे दरवाज़े, पत्थर के स्लैब, या विशेष ताबीज, पर कुछ विशिष्ट प्रतीकों और शक्तिशाली मंत्रों के साथ सील कर दिया जाता था ताकि वे बाहर न आ सकें और मानव जाति को नुकसान न पहुँचा सकें. अगर ये निशान बेसमेंट के दरवाज़े पर हैं, तो इसका मतलब है कि उसके पीछे कुछ ऐसा है जिसे सदियों से दबाकर रखा गया है, शायद किसी बहुत ही खतरनाक या शक्तिशाली शक्ति को." उनकी आवाज़ में एक अजीब सी गंभीरता थी, जो उन सबके डर को और बढ़ा रही थी.

डॉ. मेहता ने चेतावनी दी कि ऐसे दरवाज़ों को बिना सोचे-समझे तोड़ने से अक्सर वह बंदी हुई शक्ति आज़ाद हो जाती है, और फिर उसे रोकना लगभग असंभव हो जाता है, क्योंकि उसकी मुक्ति के बाद उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है. "आपकी श्रीमती शर्मा की बात सही है," उन्होंने आगे कहा, अपनी उंगली नक्शे पर रखे हुए. "यह ज़मीन शायद प्राचीन काल से ही किसी नकारात्मक ऊर्जा के स्रोत पर बनी हुई है. यह ऊर्जा निष्क्रिय हो सकती है, लेकिन जब इसे छेड़ा जाता है, या इसके आसपास निर्माण कार्य होता है, तो यह जाग उठती है और अपने तीव्र प्रभाव से आसपास के वातावरण और उसमें रहने वाले लोगों को दूषित कर देती है. यह आपकी मानसिक शांति, आपके गैजेट्स के कामकाज को, आपके संबंधों को, और यहाँ तक कि आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है."

रिया ने काँपते हुए पूछा, "तो क्या ये हमें मानसिक रूप से कमजोर कर रहे हैं ताकि हम खुद ही उसे आज़ाद कर दें? क्या यह कोई जाल है?"

"संभवतः," डॉ. मेहता ने जवाब दिया, उनकी नज़रें विवेक की आँखों में थीं. "यह दबी हुई शक्ति अपनी ताकत को पुनः प्राप्त करने और पूर्ण रूप से मुक्त होने के लिए आपके डर, आपकी हताशा, और आपकी जिज्ञासा का उपयोग कर रही है. यह एक प्रकार का मानसिक युद्ध है, जहाँ आपको उस दरवाज़े को खोलने या उसे नष्ट करने के लिए लगातार उकसाया जा रहा है. यह एक साइको-स्पिरिचुअल एंटिटी हो सकती है, जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों आयामों पर प्रभाव डालती है. यह आपकी कमजोरियों को पहचानती है और उन्हीं पर प्रहार करती है."

विवेक ने हाथ में नक्शे लिए हुए कहा, "इनमें 'अप्रोच टु अननोन' और 'रिस्ट्रिक्टेड एक्सेस' जैसी बातें लिखी हैं. क्या इसका मतलब है कि बेसमेंट के नीचे कुछ और भी है? कोई छिपी हुई जगह?"

डॉ. मेहता ने नक्शों को ध्यान से देखा, अपनी उंगली एक बिंदु पर घुमाते हुए. "हाँ, यह संभव है. अक्सर इन शक्तियों को एक भूलभुलैया या भूमिगत संरचना के भीतर सील किया जाता था, ताकि उन्हें आसानी से खोजा न जा सके या उन तक पहुँचा न जा सके. इन नक्शों में कुछ ऐसे मार्ग या कक्ष हो सकते हैं जो उस मुख्य स्रोत तक जाते हों, जहाँ से यह सारी नकारात्मक ऊर्जा निकल रही है – जिसे हम शायद 'शक्ति केंद्र' कह सकते हैं. यह वह जगह हो सकती है जहाँ इकाई मूल रूप से बंधी हुई थी या जहाँ से उसकी शक्ति फैल रही है."

समूह को यह सब सुनकर गहरा धक्का लगा. वे सिर्फ़ एक भूतिया बिल्डिंग में नहीं थे, बल्कि एक प्राचीन अभिशाप के जाल में फंस गए थे, एक ऐसी बुराई से लड़ रहे थे जिसकी जड़ें सदियों पुरानी थीं. अनुराग ने अपना सिर पकड़ लिया, "हम इसमें कैसे फंसे? हम क्या करेंगे?"

डॉ. मेहता ने कहा, "सबसे पहले, हमें उस दरवाज़े को खोलने से पहले उसके पीछे क्या है, उसके बारे में और जानकारी चाहिए. हमें उन प्रतीकों को पूरी तरह से समझना होगा और यह जानना होगा कि उन्हें क्यों और कैसे लगाया गया था. मैं अपने कुछ पुराने ग्रंथों और अभिलेखागारों की गहन जाँच करूँगा. मेरे पास कुछ ऐसे दुर्लभ हस्तलेख और पुस्तकें हैं जिनमें ऐसी शक्तियों और उन्हें नियंत्रित करने के तरीकों के बारे में जानकारी हो सकती है. शायद हमें कोई ऐसा प्राचीन अनुष्ठान या प्रति-प्रतीक मिल जाए जो उस शक्ति को कमजोर कर सके या उसे नियंत्रित कर सके, ताकि हम उसे बिना तोड़े उससे निपट सकें."

उन्होंने चेतावनी दी, उनकी आवाज़ में गंभीरता और भी बढ़ गई. "यह कोई खेल नहीं है, बच्चों. यह आपकी जान को जोखिम में डाल सकता है. आपको बहुत सावधान रहना होगा. फिलहाल, उस दरवाज़े के पास जाने से बचें, और सबसे महत्वपूर्ण बात, अपनी मानसिक शक्ति को मजबूत रखें. यह इकाई आपके डर, आपकी नकारात्मक भावनाओं, और आपके मानसिक असंतुलन पर पनपती है. जितना आप डरेंगे, उतनी ही यह मजबूत होती जाएगी." उन्होंने समूह को ध्यान करने, सकारात्मक रहने और एक-दूसरे का समर्थन करने की सलाह दी.

समूह ने डॉ. मेहता का धन्यवाद किया. उनकी बातों से उन्हें कुछ स्पष्टता तो मिली, लेकिन डर और भी बढ़ गया. उन्हें एहसास हुआ कि वे किसी ऐसी चीज़ से लड़ रहे थे जो उनकी कल्पना से भी परे थी – एक ऐसी प्राचीन बुराई जिसे सदियों से दबाया गया था और जो अब जागने की कगार पर थी. डॉ. मेहता चले गए, लेकिन उनके शब्दों ने एक नई चुनौती और एक नई उम्मीद दोनों पैदा कर दी थीं. अब उन्हें डॉ. मेहता की मदद पर भरोसा करना था, और इंतजार करना था कि वह अगला सुराग लेकर आएं, इससे पहले कि वह अदृश्य शक्ति उन्हें पूरी तरह से निगल ले.

उनके दिमाग में एक ही सवाल गूँज रहा था: क्या डॉ. मेहता वास्तव में उन्हें इस प्राचीन अभिशाप से बचा सकते थे, या यह सिर्फ़ एक अस्थायी राहत थी, जिसके बाद और भी भयानक सच सामने आने वाला था?