Anubandh - 3 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | अनुबंध - 3

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अनुबंध - 3

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💕💕💕 अनुबंध – एपिसोड 3 💕💕💕
 
 
शादी का दिन आखिरकार आ ही गया था। सुबह से ही हवेली का माहौल रौनक से भरा हुआ था। फूलों की खुशबू, मंत्रों की गूंज और शादी की तैयारी में व्यस्त लोग — सब मिलकर इस पल को खास बना रहे थे।
 
अनाया दुल्हन बनी थी, गहरे लाल रंग का लहंगा, ज़री और सुनहरी कढ़ाई से सजा हुआ। माथे पर माँगटीका, कानों में भारी झुमके, गले में हार और हाथों में मेहंदी से सजी चूड़ियाँ… उसकी खूबसूरती सबकी नज़रों को थाम ले रही थी। वो घबराहट और खुशी के मिले-जुले एहसासों में बैठी थी।
 
उधर वरमाला मंडप की ओर, विराट अपने पिता और आरव के साथ खड़ा था। काले रंग की शेरवानी और शालीन अंदाज़… वो किसी शहज़ादे से कम नहीं लग रहा था। आरव बार-बार हंसकर भाई को छेड़ रहा था,
“भैया, आज तो आप भी बंध ही गए रिश्तों में।”
 
मंडप सजा हुआ था, पंडित जी ने पूजा शुरू की। सात फेरे लेने का वक्त आया। विराट और अनाया अग्नि के चारों ओर घूम रहे थे, हर फेरे पर दिलों में नई कसमें और जिम्मेदारियाँ बंध रही थीं। विराट की नज़रें कई बार अनाया की ओर ठहर गईं, उसकी मासूम आंखों और हल्की मुस्कान को देखकर उसके दिल में अजीब-सी गर्माहट उठ रही थी।
 
जब सिंदूरदान का पल आया, विराट ने धीमे हाथों से अनाया की मांग भरी। जैसे ही उसने पाउडर उठाया, कुछ बारीक कण फिसलकर अनाया की नाक पर गिर पड़े। पूरा मंडप ठहाकों से गूंज उठा।
 
आरव तुरंत बोला,
“अरे वाह भाभी! देखिए… सिंदूर तो सीधा नाक तक पहुंच गया। कहते हैं न, ये तो सच्चे प्यार की निशानी होती है।”
अनाया शरमा गई और हल्की मुस्कान के साथ सिर झुका लिया, वहीं विराट ने हल्की-सी स्मित से आरव को घूरा।
 
 
 
शादी की रस्में पूरी होते ही जूता-छुपाई का खेल शुरू हुआ। कव्या और उसकी सहेलियाँ पहले ही विराट के जूते छुपा चुकी थीं। जब बारात चलने लगी, विराट को अचानक एहसास हुआ — उसके जूते गायब हैं।
 
वो गुस्से में इधर-उधर देखने लगा, तभी काव्या शरारती हंसी के साथ बोली,
“जीजा जी, जूते चाहिए तो नेग देना पड़ेगा।”
 
आरव ने तुरंत बाज़ू चढ़ाते हुए कहा,
“अरे भाई, आप परेशान मत हो। मैं ढूंढता हूँ इन शैतानों का ठिकाना।”
 
फिर शुरू हुआ असली खेल — आरव और काव्या के बीच। काव्या अपनी सहेलियों के साथ मिलकर जूतों को इधर-उधर करती रही और आरव उन्हें पकड़ने की कोशिश करता रहा। पूरा परिवार हंसी से लोटपोट हो गया।
 
आखिरकार जूतों का सौदा हुआ। विराट ने अनिच्छा से ही सही, पर कव्या को अच्छा-खासा नेग दिया। काव्या ने मुस्कुराते हुए जूते लौटाए और बोली,“अब तो आप आधिकारिक तौर पर हमारे जीजा जी बन गए।”
 
विराट ने हल्की मुस्कान के साथ जूते पहने, उसकी आंखें एक पल के लिए अनाया पर टिक गईं। वहीं बैठी अनाया अपने नए जीवन के बारे में सोचते हुए, थोड़ी झिझक और थोड़ी उम्मीद से उसकी ओर देख रही थी।
 
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यह शादी सिर्फ एक रिश्ता नहीं थी… बल्कि उनके भाग्य का मिलन था।
 
अनाया ने अपनी बहन को गले लगाया और आँसू बहाए।
काव्या ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन आँखों में चिंता साफ़ झलक रही थी।
विराट ने उसे चुप कराते हुए सिर पर हल्का हाथ रखा, पहली बार उसकी आँखों में गर्माहट झलक रही थी।
 
 
कार की धुंधली रोशनी और बारिश की हल्की आवाज़…
अनाया और विराट दोनों सामने की सीट पर बैठे थे।
विराट ने ड्राइविंग करते हुए बिना किसी भावना के कहा,
"अब हम कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों पर चर्चा करेंगे।"
 
अनाया ने किताब जैसी नोटबुक अपने गोद में रखी, और आँखें उठाकर उसे देखा।
"सर… मुझे उम्मीद है कि ये एक लंबा ड्रामा नहीं होगा।"
 
विराट ने केवल सिर हिलाया।
"एक कमरे की शर्त, पब्लिक में कपल एक्टिंग और पर्सनल लाइफ़ में कोई दखल नहीं।"
अनाया ने उसकी बातों पर नज़रे उठाकर देखा। उसकी आँखों में ठंडी गंभीरता थी, लेकिन उसकी चालाक नज़रों को पहचानने से वह खुद को रोक नहीं सकी।
 
"अच्छा, तो मतलब मुझे सिर्फ़ बाहर दिखाना होगा कि हम अच्छे कपल हैं। अंदर… आपका काम सिर्फ़ देखना है?" उसने हँसते हुए कहा।
 
विराट का जबड़ा तन गया। उसकी आँखें थोड़ी और तीखी हो गईं।
"बस समझ लो… यह सिर्फ़ तुम पर निर्भर करेगा कि अनुबंध सफल होगा या नहीं।"
 
अनाया ने अपनी बहन की बीमारी की याद की, जो कमजोर और अकेली थी। हर साँस पर उसका दिल थाम जाता था। यही उसकी कमजोरी थी, और यही वजह थी कि उसने मजबूरी में हाँ कर दी थी।
 
 
 
 
कार से उतरते ही विराट ने उसे घर पहुँचाया।
गृह प्रवेश की रस्में, रिंग सेरेमनी… हर जगह आरव की मस्तीख़ोरी।
"भाई, तुम्हारे चेहरे पर इतनी गंभीरता! क्या मेरी भाभी को डराना है या अपना डर दिखाना?" आरव ने छेड़ते हुए कहा।
 
अनाया के दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं। उसने देखा कि विराट की आँखों में कोई भाव नहीं था, लेकिन हर कदम पर उसे नियंत्रित कर रहा था।
 
रिंग सेरेमनी में, अनाया जीत गई।तो आरव बहुत खुश हुआ।
एक पल ऐसा आया जब दुल्हा दुल्हन को अपनी बाँहों में उठा लेता है।
विराट ने वही किया।आरव ने पीछे से उनहे छेड़ा।
 
अनाया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
वो उसकी बाँहों में सुरक्षित भी थी, डर भी थी, और थोड़ी उलझन में भी।
 
ऊपर उनके कमरे में:
 
 
विराट ने उसे बिस्तर पर फेंका—धीरे से।
वो उसके पास आया।
अनाया ने आँखें बंद कर ली।
 
"तुम्हें लगता है मैं तुम्हें छूना चाहूँगा?" विराट की आवाज़ ठंडी और गंभीर थी।
अनाया ने अपनी आंखे खोली और उसे घूरा।
अनाया ने वही नटखट जवाब दिया—
"प्लीज़ सर, अहंकार के साथ ये गलतफहमी भी रख लीजिए।"
 
विराट का जबड़ा और ज़्यादा तन गया। उसकी आँखें उसके चेहरे के करीब आईं। वह धीरे-धीरे उठकर बाथरूम चला गया।
 
 
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अनाया ने गहरी साँस ली।
वो बालकनी की ओर चली गई और बारिश की बूँदों को देख रही थी।
उसने अपने जीवन के फैसलों के बारे में सोचा, और छोटी सी भावना जो विराट के लिए उसके दिल में थी, उसे किसी से साझा नहीं किया।
 
थोड़ी देर बाद, उसने कपड़े बदलने का निर्णय लिया।
सोफ़े पर बैठकर अपने डोरेमॉन पिलो के साथ आराम किया।
"कभी-कभी, लगता है कि ये अनुबंध केवल कागज़ पर नहीं, बल्कि दिल पर भी लिखा है…", उसने खुद से कहा।
 
 
 
 
सुबह की हल्की रोशनी कमरे में फैल रही थी। अनाया ने नींद से उठते ही धीरे-धीरे खिड़की के पास आई। उसने साड़ी संभाली—गुलाबी और हल्की सुनहरी बॉर्डर वाली। उसके हाथों में रंग-बिरंगे कंगन थे, माथे पर लाल बिंदी—सभी चीज़ें उसकी भारतीय सुंदरता और सादगी को और निखार रही थीं।
 
विराट अभी सो रहे थे। अनायास ही उसकी नींद भंग हुई—कुछ कंगन गिर गए। लेकिन विराट की नींद खुली नहीं थी, उसने बस हल्की मुस्कान दी।
 
अनाया आईने के सामने खड़ी हुई और खुद को देखकर फ्लाइंग किस करती हुई बोली,
"वाह, क्या सुंदर लड़की हूँ मैं!"
विराट ने पीछे से देखा और मुस्कुराते हुए अपने आप से कहा,
"क्रेजी गर्ल…"
 
अनाया ने हँसते हुए नज़रें फेर लीं।इस बात से अनजान कोई उसे देख रहा था।वो कमरे से बाहर निकल गई।
 उसने जल्दी से नाश्ता तैयार किया—सादा पराठा, गर्म चाय, और कुछ मीठा।
 
आरव, जो हमेशा मस्तीख़ोर था, नाश्ते के दौरान विराट के सामने चुप नहीं बैठा।
"भाई, आज देखो, हमारी नई Mrs. सिंघानिया इतनी सजधज कर बैठी है कि दाल भी शर्मिंदा हो जाए!"
विराट ने उसे घूरा, लेकिन कुछ नहीं कहा।
 
 
अनाया प्लेट पर मिठाई परोस रही थी। विराट ने ठुकरा दी, लेकिन उसकी आँखें लगातार अनाया पर टिक गई थीं।
 
अनाया ने थोड़ी नाराज़ होकर मुस्कान बनाई। विराट ने अचानक उसकी कटोरी से एक छोटी चम्मच उठाई और अपने मुंह में रख लिया। उसकी यह मासूम हरकत अनायास ही दिल को छू गई।
 
उनके पिता मुस्कुराए, जैसे सब ठीक है।
 
 
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आगे देखिए:~~
 
 
 
नाश्ते के बाद विराट ने कहा,
"अनाया, मेरी टाई सेट करो।"
अनाया ने हल्की झिझक के साथ उसकी टाई ठीक की। विराट ने उसका ठोड़ी पकड़कर हल्की मुस्कान दी,
"कल से ऑफिस आओ, और अपने काम में पूरी निपुणता दिखाओ।"
अनाया ने सिर हिलाया, सभी की निगाहें उन पर थीं।
"गुड गर्ल!," विराट ने कहा और ऑफिस की ओर निकल गया।
 
 
 जारी(...)
© Diksha 💕💕✨
 
रेटिंग्स देते रहे मुझे लिखने में प्रोत्साहन मिलता है।