घने जंगल की गहराइयों में एक विशालकाय शेर रहता था। उसकी दहाड़ से पूरा जंगल काँप उठता। सारे जानवर उसे जंगल का राजा मानते और उससे डरते। शेर ताकतवर होने के साथ-साथ थोड़ा गुस्सैल भी था। लेकिन जब पेट भरा होता तो वह आराम से अपनी गुफा में सो जाता और किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता।
एक दिन दोपहर की तपती धूप में शेर पेट भरकर शिकार खाकर अपनी गुफा में गहरी नींद सो रहा था। जंगल का वातावरण शांत था। केवल पेड़ों पर चिड़ियों की चहचहाहट और पत्तों की सरसराहट सुनाई दे रही थी।
इसी दौरान एक नन्हा चूहा अपनी बिल से बाहर निकला। चूहा बहुत चंचल और शरारती स्वभाव का था। वह इधर-उधर दौड़ता, लकड़ी के टुकड़ों पर चढ़ता और उछल-कूद करता। खेल-खेल में वह उस जगह पहुँचा, जहाँ शेर सो रहा था।
चूहे ने शेर को देखा। वह बहुत बड़ा और डरावना लग रहा था। चूहे को पहले डर लगा, पर फिर उसने सोचा –
“वाह! कितना विशाल जीव है। ज़रा इसके ऊपर चढ़कर देखूँ, मज़ा आएगा।”
बस फिर क्या था, चूहा उछलकर शेर की पूँछ पर चढ़ गया। फिर वह धीरे-धीरे उसकी पीठ पर दौड़ने लगा। कभी उसके कान खींचता, कभी उसके सिर पर कूदता। चूहा अपने खेल में इतना खो गया कि उसे इस बात का एहसास ही नहीं रहा कि वह किस खतरे से खेल रहा है।
कुछ देर तक शेर गहरी नींद में रहा, लेकिन जैसे ही चूहा उसकी नाक पर आकर कूदा, शेर की नींद खुल गई।
शेर ने गुस्से से अपनी आँखें खोलीं और तुरंत अपने पंजों में चूहे को दबोच लिया।
शेर गरजते हुए बोला –
“नालायक! तूने मेरी नींद खराब की। अब मैं तुझे सबक सिखाऊँगा। आज तू मेरी दावत बनेगा।”
बेचारा चूहा डर के मारे काँपने लगा। उसकी आवाज़ काँप रही थी, पर उसने हिम्मत जुटाकर कहा –
“महाराज, माफ़ कीजिए। मुझसे गलती हो गई। मैंने जान-बूझकर आपकी नींद खराब नहीं की। अगर आप मेरी जान बख्श देंगे, तो मैं जीवन भर आपका एहसान मानूँगा। कौन जाने, कभी मैं भी आपके काम आ जाऊँ।”
शेर यह सुनकर ठहाका मारकर हँस पड़ा।
“तू? मेरी मदद करेगा? हा हा हा…! अरे छोटे से चूहे, तेरी औक़ात क्या है मेरी मदद करने की? फिर भी, तेरी मासूमियत देखकर मैं तुझे छोड़ रहा हूँ। जा, भाग जा यहाँ से।”
शेर ने अपने पंजे ढीले किए और चूहे को छोड़ दिया। चूहा भागकर अपनी बिल में चला गया और मन ही मन बोला –
“राजा चाहे बड़े हों या छोटे, दोस्ती हमेशा निभानी चाहिए। अवसर आने पर मैं अपना वादा ज़रूर निभाऊँगा।”
दिन बीतते गए। शेर अपनी शान के साथ जंगल में घूमता रहा। लेकिन एक दिन अचानक उसकी ज़िंदगी बदल गई।
वह जंगल में शिकार की तलाश में भटक रहा था। तभी शिकारीयों का जाल उसके रास्ते में बिछा हुआ था। शेर ने जरा-सा कदम बढ़ाया और “धप्प” की आवाज़ के साथ वह मजबूत रस्सियों के जाल में फँस गया।
शेर ने पूरी ताकत लगाकर जाल से निकलने की कोशिश की। उसने दहाड़ मारी, पंजों से रस्सियाँ तोड़ने की कोशिश की, लेकिन सब व्यर्थ गया।
शिकारी दूर से देख रहे थे और सोच रहे थे कि सुबह होने पर वे लौटकर शेर को पकड़ ले जाएंगे।
शेर ने पहली बार अपने जीवन में खुद को असहाय पाया। उसकी दहाड़ से जंगल गूँज रहा था। सारे जानवर डर के मारे छिप गए। लेकिन उसी समय वही छोटा चूहा अपने बिल से बाहर निकला और शेर की आवाज़ सुनी।
चूहे ने सोचा –
“यह आवाज़ तो मेरे मित्र शेर की है। लगता है वह मुसीबत में है। मुझे तुरंत उसकी मदद करनी चाहिए।”
चूहा भागते-भागते उस जगह पहुँचा। उसने देखा कि शेर मोटे रस्सों के जाल में बुरी तरह फँसा हुआ है। उसके चेहरे पर बेबसी झलक रही थी।
चूहा बोला –
“महाराज, घबराइए मत। आपने मुझे उस दिन छोड़ा था, आज मैं आपका वादा निभाऊँगा। मैं अभी इन रस्सियों को काट देता हूँ।”
शेर ने चूहे को देखा और उसकी आँखों में आशा की चमक आ गई।
“लेकिन यह रस्सियाँ बहुत मजबूत हैं, तुम कैसे काट पाओगे?”
चूहा मुस्कुराकर बोला –
“महाराज, मेरी छोटी-सी ताकत शायद आपकी बड़ी समस्या को हल कर सकती है। बस आप धैर्य रखिए।”
यह कहकर चूहा अपने तेज़ दाँतों से रस्सियाँ काटने लगा। वह मेहनत से, एक-एक कर जाल की गांठें चबाता गया। धीरे-धीरे रस्सियाँ ढीली होने लगीं।
काफी देर की मेहनत के बाद आखिरकार जाल पूरी तरह कट गया। शेर आज़ाद हो गया।
वह खुशी से जोर से दहाड़ा, लेकिन इस बार उसकी दहाड़ में गुस्सा नहीं, आभार था।
शेर ने झुककर चूहे से कहा –
“छोटे मित्र, आज तुमने साबित कर दिया कि किसी को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। तुम्हारी वजह से मेरी जान बची। अब से हम सच्चे दोस्त हैं।”
चूहा बोला –
“महाराज, यह तो मेरा कर्तव्य था। दोस्ती का मतलब ही है मुश्किल समय में साथ देना।”
उस दिन के बाद शेर और चूहे की गहरी दोस्ती हो गई। वे अक्सर मिलते, बातें करते और एक-दूसरे की इज्ज़त करते। शेर ने पूरे जंगल को संदेश दिया कि किसी को उसकी कद-काठी या ताकत से मत आँको। हर प्राणी की अपनी उपयोगिता है।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
1. किसी को छोटा मत समझो – हर किसी की अहमियत होती है।
2. मित्रता में स्वार्थ नहीं होना चाहिए – असली दोस्त वही है जो संकट के समय काम आए।
3. बुद्धि और धैर्य ताकत से बड़े हैं – चूहे की समझदारी और धैर्य ने शेर को बचाया।