Episode 1: रहस्यमयी शुरुआत
रात का अंधेरा शहर की संकरी गलियों में गहराता जा रहा था। आसमान में बादल थे, जिनसे रुक-रुककर हल्की बारिश की बूंदें टपक रही थीं। बूंदें जब पत्थर की फर्श से टकरातीं, तो एक अजीब-सी गूँज पैदा होती – मानो पुरानी दीवारें भी इस रात की खामोशी में कुछ कहना चाहती हों।
आरव मेहरा, 28 साल का एक investigative journalist, अपने कंधे पर झूलते पुराने कैमरे और हाथ में पकड़े नोटबुक के साथ उस अंधेरी गली के मुहाने पर खड़ा था। उसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी और आँखों में बेचैन जिज्ञासा थी। वह अपने भीतर की बेचैनी को दबाने की कोशिश कर रहा था।
उसे खबर मिली थी कि शहर के पुराने हिस्से में, जहां लोग दिन में भी कदम रखने से डरते थे, कई अजीब घटनाएँ घट रही हैं। अचानक गुमशुदगियाँ, रहस्यमयी आवाजें, और छोड़े हुए मकानों में जलती बुझती रोशनियाँ… ये सब बातें धीरे-धीरे अफवाहों का रूप ले चुकी थीं। लेकिन अराव अफवाहों पर नहीं रुकता था; उसकी आदत थी सच्चाई तक पहुँचना।
“ये सच में क्या हो रहा है?” वह खुद से बड़बड़ाया।
उसने अपने कैमरे की लाइट ऑन की और सावधानी से आगे बढ़ने लगा। हर कदम पर उसके जूते पत्थर से टकराकर आवाज़ करते, और यह आवाज़ उस खामोशी में और भी डरावनी लगती। उसके दिल की धड़कन तेज हो चुकी थी। बारिश और धूल की गंध के बीच उसे एक अजीब-सी खुशबू महसूस हुई – जैसे किसी पुराने धुएँ और गीली मिट्टी का मिश्रण।
जैसे ही वह गली के गहरे हिस्से में पहुँचा, अचानक एक अजीब सी हल्की आवाज़ उसके कानों में गूँज उठी। वह आवाज़ इंसानी थी, लेकिन इतनी धीमी कि वह साफ़ शब्द नहीं पकड़ पाया। ऐसा लगा जैसे कोई बहुत करीब आकर भी फुसफुसा रहा हो।
आरव अचानक रुक गया। उसकी आँखें चारों ओर घूमीं , लेकिन वहां सिर्फ अंधेरा था। “शायद मेरा दिमाग खेल कर रहा है,” उसने खुद को समझाने की कोशिश की। लेकिन भीतर कहीं उसे यकीन था कि यह आवाज़ असली थी।
गली के अंत में पहुँचकर उसने देखा कि वहां एक पुराना मंदिर खड़ा है। यह वही मंदिर था जिसके बारे में लोग कहते थे कि उसे दशकों पहले छोड़ दिया गया था। टूटे हुए दरवाजे, जर्जर दीवारें, और जाले से ढके हुए पत्थर उसकी वीरानी का सबूत दे रहे थे। लेकिन सबसे अजीब बात यह थी कि आज रात उस मंदिर की एक टूटी खिड़की से हल्की-सी रोशनी बाहर आ रही थी।
आरव ने सांस रोककर कैमरा उठाया और तस्वीर लेने लगा। तभी अचानक उसके पीछे से एक और आवाज़ आई – साफ़ और ठंडी।“तुम यहाँ क्यों आए हो?”
वह झटके से मुड़ा। सामने एक लड़की खड़ी थी। उसके चेहरे पर बारिश की बूंदें चमक रही थीं, और आँखों में अजीब-सा मिश्रण था – डर और साहस दोनों।
आरव ने हड़बड़ाकर कहा, “मैं… मैं बस…”
लड़की ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा, “मुझे पता है, तुम investigative journalist हो। लेकिन यहाँ रहस्यों की परछाई में कदम रखना खतरनाक है।”
आरव कुछ कह पाता, उससे पहले ही लड़की ने धीरे से अपना नाम बताया – नैना कपूर। वह 26 साल की archaeologist थी, जो प्राचीन लेखों और रहस्यों की खोज में माहिर थी। उसकी आँखों में ज्ञान की चमक थी, और आवाज़ में दृढ़ता।
नैना ने उसे मंदिर की ओर इशारा किया, “अगर तुम सच जानना चाहते हो, तो अंदर चलो। लेकिन एक बार कदम रखा, तो पीछे मुड़ना आसान नहीं होगा।”
आरव के भीतर की जिज्ञासा उसके डर पर भारी पड़ी। उसने सिर हिलाया और दोनों मंदिर के अंदर चले गए।
मंदिर के भीतर हवा भारी थी। पुराने पत्थरों से धूल झर रही थी और दीवारों पर बने अजीब प्रतीक धुंधले दिखाई दे रहे थे। कुछ जगहों पर प्राचीन चित्र भी बने थे, जिनमें योद्धा, अनजान चिह्न और अजीब आकृतियाँ उकेरी गई थीं। माहौल ऐसा था जैसे यहाँ सदियों से कोई राज दफन हो।
आरव ने अपने कैमरे से हर कोना कैद करना शुरू किया। क्लिक की आवाज़ें खामोशी को तोड़ रही थीं।
नैना ने धीरे से कहा, “ये प्रतीक सिर्फ़ सजावट नहीं हैं। ये एक प्राचीन society के हैं, जो कभी इस शहर की परछाई में काम करती थी। कहते हैं, जिसने इनका असली मतलब समझ लिया, वह बहुत बड़ी सच्चाई तक पहुँच सकता है… ऐसी सच्चाई जो इंसान की दुनिया बदल सकती है।”
आरव ने उसकी बातों को ध्यान से सुना। उसे एहसास हो रहा था कि वह किसी बड़ी खोज के दरवाजे पर खड़ा है।
अचानक मंदिर के भीतर गूँजती हुई एक तेज़ आवाज़ ने दोनों को चौंका दिया। आवाज़ ऐसी थी जैसे किसी ने भारी पत्थर को ज़मीन पर घसीटा हो। मंदिर की दीवारें हिल उठीं। आरव और नैना दोनों की सांसें अटक गईं।
“हम… क्या ये सच में सुन रहे हैं?” आरव ने फुसफुसाते हुए पूछा।
नैना का चेहरा पीला पड़ गया। उसने धीरे से सिर हिलाया, “हाँ… और हमें तुरंत यहाँ से बाहर निकलना चाहिए।”
दोनों तेजी से बाहर की ओर दौड़े, लेकिन जैसे ही मंदिर के दरवाजे तक पहुँचे, उन्होंने देखा कि गली का रास्ता बंद हो चुका था। जहां से वे आए थे, वहां अब मोटे पत्थरों की दीवार खड़ी थी, जैसे वह अचानक ज़मीन से निकल आई हो।
आरव का गला सूख गया। उसने कैमरा कसकर पकड़ लिया। पीछे मुड़कर देखा, तो मंदिर की खिड़की से निकलती रोशनी अब बदल चुकी थी। वह रोशनी अब किसी अजीब, झिलमिलाते आकार का रूप ले रही थी – मानो कोई परछाई जीवित होकर हिल रही हो।
“ये… क्या है?” आरव की आवाज़ काँप रही थी।
नैना ने गहरी सांस ली, “मुझे नहीं पता… लेकिन यह किसी इंसान का काम नहीं है।”
उस पल, मंदिर की हवा में एक औरत जैसी धीमी, रहस्यमयी फुसफुसाहट गूँजी –“सत्य खोजने वाला… अब तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेगा।”
उस आवाज़ ने दोनों के रोंगटे खड़े कर दिए। ऐसा लगा जैसे वह शब्द सीधे उनके दिमाग में उतरे हों।
आरव और नैना ने एक-दूसरे की तरफ देखा। उनके चेहरों पर डर साफ़ झलक रहा था, लेकिन उनकी आँखों में जिज्ञासा की लौ अब और प्रज्वलित हो चुकी थी। डर और रहस्य ने मिलकर उन्हें बाँध लिया था।
यह सिर्फ़ शुरुआत थी।
मंदिर की दीवारों पर बने प्रतीक अब और भी चमकने लगे थे, जैसे उन्हें किसी अदृश्य शक्ति ने जागृत कर दिया हो। हवा और भारी हो चुकी थी, और बाहर की बारिश अब तूफान का रूप ले चुकी थी।
आरव ने मन ही मन सोचा – “अगर ये सच है, तो शायद मुझे मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी स्टोरी मिल चुकी है… लेकिन इसकी कीमत क्या होगी?”
नैना की आँखें भी चमक रही थीं। उसने धीमी आवाज़ में कहा, “शायद हम दोनों अब ऐसे रास्ते पर आ गए हैं, जहाँ से वापसी नहीं होगी।”
और यहीं से उनकी कहानी शुरू हुई।
शहर की परछाइयों में छिपा रहस्य अब उन्हें अपने जाल में फँसाने लगा था।