Wo jo Mera Tha - 17 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | वो जो मेरा था - 17

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वो जो मेरा था - 17

✨ "वो जो मेरा था..."

🌹 एपिसोड – 17




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फार्महाउस की रात हमेशा शांत होती थी, लेकिन उस रात सन्नाटा किसी तूफ़ान से पहले की चेतावनी जैसा था। हवा अजीब-सी ठंडी थी और बाहर पेड़ों के बीच से आती सरसराहट मानो किसी खतरे की आहट सुना रही थी।

काव्या बच्ची को अपनी गोद में लिए सोफ़े पर बैठी थी। उसकी आँखें बार-बार दरवाज़े की ओर उठ जातीं, जैसे हर पल किसी परछाईं से डर रही हों। आरव खिड़की से बाहर देख रहा था, चेहरा तनाव से भरा हुआ।

काव्या (धीरे से): "आरव… तुम्हें सच में लगता है कि वो लोग हमें ढूँढ लेंगे?"

आरव ने गहरी साँस ली।
आरव: "काव्या, मैं कुछ भी छुपाना नहीं चाहता। हाँ, वो लोग इतने आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। लेकिन जब तक मैं ज़िंदा हूँ, तुम्हें, इस बच्ची को या रिया को कुछ नहीं होने दूँगा।"

उसकी आँखों में दृढ़ निश्चय था, और काव्या ने उसी पल तय कर लिया कि चाहे जो हो जाए, अब वो पीछे नहीं हटेगी।


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⚡ पहला वार

आधी रात बीत चुकी थी जब अचानक बाहर गाड़ियों के रुकने की आवाज़ आई। कुछ अजनबी लोग हथियारों के साथ फार्महाउस की तरफ़ बढ़ने लगे।

रिया डर के मारे काँप उठी।
रिया (सिसकते हुए): "यही लोग हैं… यही मेरी ज़िंदगी की तबाही की वजह हैं!"

बच्ची डर के मारे काव्या से लिपट गई।

आरव ने तुरंत लाइट बंद कर दी और खिड़की से बाहर झाँका।
आरव: "लगभग चार लोग हैं। लेकिन लगता है इनके पीछे और भी हैं।"

काव्या का दिल जोर से धड़कने लगा।
काव्या: "अब हम क्या करेंगे?"

आरव (दृढ़ स्वर में): "लड़ेंगे।"


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🔥 आमना-सामना

गेट तोड़ते हुए कुछ लोग अंदर घुसे। आरव ने तुरंत लोहे की रॉड उठा ली और दरवाज़े पर खड़ा हो गया। जैसे ही पहला आदमी अंदर आया, आरव ने उस पर वार किया।

शोर सुनकर बाकी लोग भी भीतर आने लगे। लड़ाई शुरू हो गई।

काव्या ने बच्ची और रिया को कमरे में बंद कर दिया और खुद दरवाज़े के पास आकर खड़ी हो गई। उसकी आँखों में डर था लेकिन वो जानती थी कि उसे हिम्मत दिखानी होगी।

एक गुंडा उसके पास आया और हाथ बढ़ाया। काव्या ने पास रखी फूलदान से उस पर वार कर दिया। आदमी वहीं गिर पड़ा।

आरव ने यह देखा तो उसकी आँखों में गर्व झलक उठा।
आरव: "शाबाश काव्या!"


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🌩️ चौंकाने वाला सच

काफी देर की जद्दोजहद के बाद आखिरकार गुंडे पीछे हट गए। लेकिन जाते-जाते उनके लीडर ने कहा—

गुंडा: "रिया… तुम चाहे जहाँ छुप जाओ, हम तुम्हें ढूँढ लेंगे। क्योंकि तुम्हारे पास कुछ ऐसा है जो हमारा है!"

रिया का चेहरा पीला पड़ गया। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

आरव (गुस्से से): "रिया! ये लोग क्या चाहते हैं? सच बताओ!"

रिया की साँसें तेज़ हो गईं। उसने काँपते हुए कहा—

रिया: "आरव… वो लोग मेरे पीछे नहीं, मेरे पास रखी फ़ाइल के पीछे हैं। उसमें कुछ ऐसे सबूत हैं जो उनकी अवैध बिज़नेस डील्स को बेनकाब कर देंगे।"

काव्या अवाक रह गई।
काव्या: "मतलब… ये सब सिर्फ़ तुम्हारी वजह से हो रहा है?"

रिया की आँखों से आँसू बह निकले।
रिया: "हाँ… मैंने कई ग़लतियाँ कीं, लेकिन इस बार मैं सही करना चाहती थी। पर अब ये सब तुम्हें भी खतरे में डाल रहा है।"


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🌙 रिश्तों की दरार

रिया का सच सुनकर काव्या के अंदर गुस्सा उबल पड़ा।
काव्या: "आरव… ये औरत तुम्हारे अतीत की गलती थी। और आज भी वही तुम्हें मुसीबत में डाल रही है। क्या तुम्हें लगता है कि हम हमेशा उसकी गलतियों की कीमत चुकाते रहेंगे?"

आरव ने उसकी ओर देखा।
आरव (गंभीर स्वर में): "काव्या… मैं तुम्हारा दर्द समझता हूँ। लेकिन इंसानियत के नाते मैं उसकी मदद करने से पीछे नहीं हट सकता।"

काव्या की आँखों में आँसू थे।
काव्या: "और मेरा क्या, आरव? अगर इस लड़ाई में मैंने तुम्हें खो दिया तो?"

आरव ने उसका हाथ थाम लिया।
आरव: "तुम मुझे कभी नहीं खोओगी। जब तक तुम मेरे साथ हो, मैं अजेय हूँ।"


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🕯️ भावनाओं की रात

उस रात जब सब सो गए, काव्या खिड़की पर अकेली बैठी रही। उसका दिल उलझा हुआ था। क्या उसने सही किया आरव का साथ देकर? या फिर वो अपने ही हाथों से अपनी ज़िंदगी खतरे में डाल रही थी?

आरव धीरे-धीरे उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखा।
आरव: "नींद नहीं आ रही?"

काव्या ने सिर हिलाया।
काव्या: "डर लग रहा है आरव। लेकिन उससे भी ज्यादा डर तुम्हें खोने का है।"

आरव ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
आरव: "काव्या… मैं वादा करता हूँ, चाहे कुछ भी हो जाए, तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।"

उस पल काव्या का दिल पिघल गया। उसने तय कर लिया—अब चाहे जो हो, वो आरव का साथ कभी नहीं छोड़ेगी।


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🌟 एपिसोड 17 समाप्त

👉 एपिसोड 18 में: रिया के अतीत से जुड़ा बड़ा राज़ सामने आएगा, और दुश्मनों का अगला वार आरव और काव्या के रिश्ते को और कठिन परीक्षा में डालेगा।


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