💕💕 अनुबंध – एपिसोड 11
💕💕 तन्हाई और तकरार 💕💕
रात बहुत लंबी थी।
विराट अपने कमरे में अकेला बैठा था। कमरे की खिड़की से आती हल्की-हल्की रोशनी उसकी आँखों में पड़ रही थी। उसके सामने पड़ी व्हिस्की का ग्लास अनछुआ था।
उसने कई बार दरवाज़े पर जाकर अनाया के कमरे का नॉब घुमाने की कोशिश की, लेकिन हर बार ठहर गया।
उसकी साँसें भारी थीं। “मैं उसे खो नहीं सकता… लेकिन वो मुझसे इतनी दूर क्यों चली गई?”
उसके गाल पर अब भी अनाया के थप्पड़ की जलन बची हुई थी—मानो हर लम्हा उसे याद दिला रही हो कि उसने उस औरत को दुख पहुँचाया है, जो उसके लिए सबसे ज़्यादा मायने रखती है।
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अगली सुबह, जब वो डाइनिंग टेबल पर आया, तो अनाया पहले से ही बैठी थी।
सामने प्लेट में पराठा रखा था, लेकिन उसने हाथ तक नहीं लगाया।
वो धीरे से बोला—
“गुड मॉर्निंग…”
अनाया ने बिना उसकी ओर देखे पानी का गिलास उठाया और बस एक ठंडी ‘हूँ’ की आवाज़ निकाली।
उसके लिए ये ‘हूँ’ किसी तलवार से कम नहीं थी।
उसने काँपते हुए कॉफी कप उठाया, लेकिन हाथ इतने कांप रहे थे कि कॉफी की कुछ बूंदें टेबल पर गिर गईं।
अनाया ने एक पल को देखा, फिर नज़रें फेर लीं।
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ऑफिस में भी हालात अलग नहीं थे।
जहाँ पहले वो उसकी आँखों से ही उसके मूड को समझ लेती थीं, अब सीधा नज़रें चुराती थीं।
वो मीटिंग में उसका चेहरा देखने की कोशिश करता, तो अनाया सीधे स्क्रीन की ओर देखने लगतीं।
वो उनके पास बैठने के लिए कुर्सी खींचता, तो वो फाइल उठाकर किसी और सीट पर चली जातीं।
हर बार, विराट का दिल और डूबता जाता।
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उस शाम, विराट उनके कमरे के दरवाज़े पर गुलाबों का बुके लेकर पहुँचा।
धीरे से दरवाज़ा खटखटाया।
“अनाया… आई एम सॉरी. मुझे पता है मैंने हद पार की। बस एक मौका दे दो…”
दरवाज़ा खुला।
अनाया सामने थीं। उनकी आँखें सूजी हुईं, चेहरा सख़्त।
उन्होंने फूलों की ओर देखा और ठंडी आवाज़ में कहा—
“मिस्टर सिंघानिया फूल से दिल नहीं जुड़ता। और जो दिल टूटा हो, वहाँ फूल बेअसर होते हैं।”
उन्होंने बुके उसके हाथ से लिया और ज़मीन पर रख दिया।
दरवाज़ा बंद।
विराट वहीं खड़ा रह गया, जैसे किसी ने उसके सीने में छुरा घोंप दिया हो।
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अगले दिन, जब उसने देखा कि अनाया काम में बिज़ी होकर लंच भूल गई हैं, तो उसने खुद उनके लिए खाना भेजा।
लेकिन जैसे ही अनाया ने टिफ़िन खोला और देखा कि ये उसके हाथ का है, उसने एक भी निवाला नहीं खाया।
उसकी सहेली-सी कर्मचारी बोली—
“मैम, खाना क्यों नहीं खा रहीं? ये तो सर ने भेजा है स्पेशली फॉर यू…”
अनाया ने सख़्ती से कहा—
“टेल हिम, मैं भूखी नहीं हूँ।”
वो सुनकर विराट के कान जल उठे।
उसने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं, लेकिन गुस्से से ज़्यादा अपने आप पर खीझ थी।
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उस रात, उसने अनाया को ड्राइव पर चलने के लिए कहा।
“बस थोड़ी देर… मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ।”
अनाया ने उसकी ओर सीधे देखा।
“आप मुझसे बात क्यों करना चाहते हैं, विराट? जब आप मुझे समझते ही नहीं?”
“क्योंकि मैं…”
वो अटक गया। उसकी ज़ुबान पर वो शब्द अटके रह गए जिन्हें कहने से वो हमेशा डरता था।
“क्योंकि आप…?” अनाया ने सवाल किया।
वो चुप हो गया।
अनाया की आँखें भर आईं।
“आप कुछ कह नहीं पाते, और मैं सब झेलती हूँ। ये रिश्ता दम घोंट रहा है।”
उसने कार का दरवाज़ा खोला और बाहर निकल गईं।
वो अकेला रह गया।
उस रात उसने बालकनी में खड़े होकर पूरे शहर की लाइट्स देखीं।
उसकी आँखों में नमी थी।
“मैं चाहता क्यों हूँ उसे? क्यों मेरी नींद, मेरी साँसें, मेरी दुनिया उसके बिना अधूरी लगती है? और क्यों… जब मैं उसे खोने लगता हूँ, मेरा दिल मुझे ही काटने लगता है?”
उसके अंदर का अहंकार कहता—
“मत मानो, तुम विराट सिंगानिया हो। किसी की ज़रूरत तुम्हें कमज़ोर बना देगी।”
लेकिन दिल बार-बार धड़कता—
“वो तुम्हारी है… और अगर तुमने उसे खो दिया तो तुम्हारे पास कुछ भी नहीं बचेगा।”
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अगले दिन, जब अनाया ऑफिस से घर लौटीं, विराट ने दरवाज़े पर ही उनका हाथ पकड़ लिया।
“इनफ अनाया। अब और नहीं सह सकता। मुझे बात करनी है।”
अनाया ने झटकते हुए कहा—
“छोड़िए मुझे। आपकी बातें अब मेरे लिए मायने नहीं रखतीं।”
“कैसे नहीं रखतीं? तुम जानती हो, मैं…”
“आप क्या? आप मुझे रोकना चाहते हैं, लेकिन अपना दिल खोलकर बोल नहीं सकते। आप मुझ पर हक़ जताते हैं, लेकिन मुझे अपना मानते ही नहीं।”
वो काँप रही थीं।
“ये कैसा रिश्ता है, विराट? जहाँ मैं रोती हूँ और आप सिर्फ़ खामोश रहते हैं?”
विराट की आँखों में गुस्सा और ग्लानि दोनों थे।
“मैं खामोश नहीं हूँ, अनाया। मैं बस…”
अनाया ने चीखते हुए कहा—
“बस डरते हैं! अपने दिल से, अपनी भावनाओं से, अपने प्यार से। आप अहंकारी हैं, और वही अहंकार हमारी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है।”
वो आँसुओं से भीगी हुई दौड़कर कमरे में चली गईं और दरवाज़ा बंद कर लिया।
विराट वहीं खड़ा रहा।
उसने दरवाज़े पर हाथ रखा, धीरे से फुसफुसाया—
“मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता, अनाया… लेकिन मैं मान भी नहीं पा रहा कि तुम मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी हो।”
कमरे की खामोशी उसके शब्दों को निगल गई।
"तन्हाई ने विराट को तोड़ा… लेकिन अनाया का इंकार हर बार उसके घाव को और गहरा कर रहा था। क्या उसका अहंकार इस रिश्ते को ख़त्म कर देगा, या वो आखिरकार टूटकर इज़हार करेगा?"
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"प्यार तब सबसे कठिन हो जाता है, जब दिल मान चुका हो… लेकिन ज़ुबान अब भी चुप्पी का क़ैदी बनी रहे।"
जारी(...)
©Diksha
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