Rahashyo ki Parchhai - 12 in Hindi Thriller by Diksha Dhone books and stories PDF | रहस्यों की परछाई - 12

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रहस्यों की परछाई - 12

Episode 12: अंधेरी सुरंगों का सफ़र


सुबह की पहली किरणें आसमान पर फैल रही थीं, लेकिन उस पुराने, जर्जर घर के भीतर अँधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था।
अनिरुद्ध, आरव और नैना नक्शे के इर्द-गिर्द बैठे थे। लालटेन की हल्की लौ उनकी चिंतित आँखों पर पड़ रही थी।

अनिरुद्ध ने धीमे स्वर में कहा—
“आज हम उस रास्ते पर कदम रखने जा रहे हैं, जहाँ से लौटकर आने वाले बहुत कम लोग ज़िंदा बचे हैं। यह Underground Tunnels सिर्फ़ ईंट-पत्थरों की भूलभुलैया नहीं… बल्कि society के सबसे पुराने traps का गढ़ हैं।”

नैना ने diary को खोला। उसके पन्नों पर लिखे शब्द मानो फुसफुसा रहे थे—
"हर सुरंग में अतीत की गूँज है, और हर मोड़ पर मौत खड़ी है।"

आरव ने sphere को हाथ में उठाया। उसकी सतह पर हल्की चमक फैल रही थी, जैसे वह भी उन्हें चेतावनी दे रही हो।



सुरंग का द्वार

अनिरुद्ध उन्हें शहर से बाहर एक सुनसान जगह पर ले गया। वहाँ घने पेड़ों और झाड़ियों के बीच एक पुराना पत्थर का ढांचा था, जिस पर समय की मार से दरारें पड़ चुकी थीं।

“यही है वो जगह,” अनिरुद्ध ने कहा।
उसने एक लोहे का गेट खोला, जो ज़मीन के भीतर जाने वाली सीढ़ियों की ओर खुलता था।

सीढ़ियाँ ठंडी और नम थीं। दीवारों पर काई जमी हुई थी और नीचे से आती बदबू ने माहौल को और भयावह बना दिया।
नैना ने काँपते हुए कहा,
“यह जगह मुझे बिलकुल भी अच्छी नहीं लग रही।”
आरव ने उसका हाथ थामा।
“डरना नहीं। हमें साथ रहना होगा।”

तीनों धीरे-धीरे नीचे उतर गए। ऊपर से गेट बंद होते ही अंधकार ने उन्हें घेर लिया।



भूलभुलैया की शुरुआत

अंदर पहुँचते ही उन्हें कई रास्ते दिखे। कुछ बाएँ मुड़ते थे, कुछ दाएँ, और कुछ अंधेरे में खो जाते थे।
अनिरुद्ध ने नक्शा फैलाया और कहा,
“हमें इस लाल निशान वाले रास्ते पर जाना है। बाकी सब मौत की ओर ले जाते हैं।”

वे आगे बढ़े। सुरंग की दीवारों पर अजीब-सी आकृतियाँ उकेरी हुई थीं—मानव आकृतियाँ, जिनके चेहरे विकृत थे, जैसे किसी ने चीखते हुए उन्हें पत्थर पर उतार दिया हो।

नैना ने धीरे कहा,
“क्या ये… society के पुराने शिकारों की यादें हैं?”
अनिरुद्ध ने गंभीरता से सिर हिलाया।
“हाँ। यह जगह उनकी आत्माओं से भरी हुई है।”



पहला Trap – गूँजती चीखें

जैसे ही वे एक लंबी सुरंग से गुज़रे, अचानक वहाँ अजीब आवाज़ गूँजने लगी।
पहले धीमी फुसफुसाहट, फिर ज़ोर-ज़ोर से चीखें।

आरव ने अपने कान दबा लिए।
“ये आवाज़ें… मेरे दिमाग को तोड़ रही हैं!”

नैना ने sphere उठाया। उसकी सतह पर चमकते हुए शब्द उभरे—
"मत सुनो… वरना ये आवाज़ें तुम्हें हमेशा के लिए यहाँ कैद कर लेंगी।"

अनिरुद्ध ने जल्दी से जेब से धूपबत्ती जैसी चीज़ निकाली और जलाकर दीवार पर फेंकी।
धुआँ फैलते ही आवाज़ें धीरे-धीरे थम गईं।

“यहाँ हर trap तुम्हारे मन पर वार करता है,” अनिरुद्ध ने कहा।
“अगर sphere न होता, तो हम अभी तक पागल हो चुके होते।”



दूसरा Trap – चलती दीवारें

आगे बढ़ते हुए वे एक चौड़े गलियारे में पहुँचे। अचानक दीवारें हिलने लगीं और धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आने लगीं।

नैना चीख उठी,
“अगर ये बंद हो गईं, तो हम सब कुचल जाएँगे!”

आरव ने देखा कि फर्श पर कुछ symbols बने हुए हैं। उसने जल्दी से diary खोली और symbols मिलाए।
उसमें लिखा था—
"बचने का रास्ता सिर्फ़ उस पर है, जिस पर सत्य लिखा हो। बाकी सब illusion है।"

आरव ने एक चिन्ह पहचानकर उस पर पैर रखा।
तुरंत दीवारें रुक गईं और एक गुप्त दरवाज़ा खुल गया।

तीनों जल्दी से उस दरवाज़े से अंदर चले गए।
पीछे दीवारें पूरी तरह बंद हो गईं, मानो कभी रास्ता था ही नहीं।



सुरंगों का रहस्य

अंदर का रास्ता और गहरा होता चला गया।
यहाँ की हवा और ठंडी थी, और हर कोने से टपकते पानी की बूंदें अंधकार में गूँज रही थीं।

अनिरुद्ध ने कहा,
“ये सुरंगें Britishers ने बनाई थीं, लेकिन Whisperers ने इन्हें अपनी शक्ति का अड्डा बना दिया। हर trap उनके philosophy का हिस्सा है—डर, भ्रम और नियंत्रण।”

नैना ने sphere उठाया। उसमें अचानक दृश्य उभरा—
एक नकाबपोश आदमी, वही Master, सुरंग के अंत में खड़ा था।
उसने कहा,
“तुम जितना आगे बढ़ोगे, उतना अपने अंत के करीब पहुँचोगे।”



तीसरा Trap – छायाओं का हमला

जैसे ही वे आगे बढ़े, दीवारों पर बनी आकृतियाँ जीवित होने लगीं।
छायाएँ दीवार से निकलकर उनका पीछा करने लगीं।

आरव ने तलवार जैसी लोहे की रॉड उठाई और वार किया, लेकिन छायाएँ धुएँ की तरह बिखरकर फिर से बन जातीं।
नैना ने sphere को ऊपर उठाया। उसमें से तेज़ रोशनी निकली, जिसने छायाओं को पीछे धकेल दिया।

अनिरुद्ध ने हाँफते हुए कहा,
“यह रोशनी… यह Sphere की असली ताकत है। यह illusions को तोड़ सकती है!”

लेकिन sphere की रोशनी के साथ-साथ एक अजीब खतरा भी सामने आया।
रोशनी बुझने से पहले sphere ने फिर से भविष्य दिखाया—
अनिरुद्ध खून से लथपथ ज़मीन पर पड़ा था।

आरव और नैना ने एक-दूसरे को देखा।
क्या यह सच होने वाला है?



रास्ते का अंत?

घंटों चलते रहने के बाद वे एक विशाल गुफा में पहुँचे।
बीचोंबीच पत्थर का एक दरवाज़ा था, जिस पर society का symbol चमक रहा था।

अनिरुद्ध ने धीमी आवाज़ में कहा,
“यही है प्रवेश द्वार… The Hollow Fortress तक पहुँचने का। लेकिन इसे खोलने के लिए बल नहीं, बुद्धि चाहिए।”

दरवाज़े पर लिखे शब्द थे—
"केवल वही प्रवेश पाएगा, जो अपने सबसे गहरे डर को स्वीकार करेगा।"

नैना ने काँपते हुए कहा,
“मतलब हमें… अपने डर का सामना करना होगा।”



Cliffhanger Ending

आरव ने sphere को दरवाज़े पर रखा।
तुरंत वह चमकने लगा और तीनों के चारों ओर अंधेरा छा गया।

अंधेरे में प्रत्येक को अपना-अपना सबसे बड़ा डर दिखाई देने लगा।
आरव ने देखा—नैना की मौत।
नैना ने देखा—आरव उसे छोड़कर जा रहा है।
अनिरुद्ध ने देखा—अपने बेटे और पत्नी का खून से लथपथ चेहरा।

तीनों चीख पड़े।

और दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलने लगा, मानो उनके डर को स्वीकार करने पर ही उसने रास्ता दिया हो।

लेकिन जैसे ही दरवाज़ा पूरी तरह खुला, उसके पीछे एक रहस्यमय छाया खड़ी थी—
एक नकाबपोश Master।

उसकी गूँजती आवाज़ आई—
“स्वागत है… अब असली परीक्षा शुरू होती है।”