RAHE TERI DUA MUJH PER -DASWA HISSA in Hindi Fiction Stories by MASHAALLHA KHAN books and stories PDF | रहे तेरी दुआ मुझ पर - दसवा हिस्सा

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रहे तेरी दुआ मुझ पर - दसवा हिस्सा

{रहे तेरी दुआ मुझ पर - दसवा हिस्सा}

{गुलनाज की होशियार नजर और नूर की गमहीन यादे}

{फलेशबेक जारी है}

जाहिद घर आता है तो उसकी अम्मी इतनी जल्दी घर आने का कारण पूछती है तो वह बता देता है कि आज उसकी तबीयत ठीक नही थी तो अब्बा ने उसे जल्दी घर भेज दिया, उसकी अम्मी उसके माथे पर हाथ रख कर चेक करती है, तो वह कहता है कि अम्मी मे अब ठीक हूँ , मै काफी देर पहले दुकान से निकला था तो रास्ते मे ही मेरे एक दोस्त का घर था तो दवाई लेकर वही कुछ वक्त आराम किया  अब  मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है , फिर वह गुलनाज के बारे मे पूछ कर अपने कमरे मे आकर लेट जाता है , और फिर से नूर के ही बारे मे सोचने लगता है , और अब तो उसके दिल ने भी नूर के लिए मोहब्बत की मोहर लगा दी थी, उसे बस नूर से किसी तरह अपनी का इजहार करना था , फिर वह नूर को याद कर मुस्कुराता है, तभी वहा कमरे मे गुलनाज आ जाती है , उसको यू मुस्कुराता देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है तो वह अपने भाई को उसके ख्यालो से बाहर निकलते हुए कहती है .

गुलनाज,, कमाल है भाई मै तो यहा मरीज का हाल जानने आयी थी मगर यहा तो कोई मरीज नजर ही नही आ रहा , लगता है कि आजकल अम्मी नकली खबर देने लगी है .

गुलनाज की आवाज सुनकर कर वह अपने ख्यालो से बाहर आता है , वह देखता है कि गुलनाज दरवाजे पर खड़ी उसे ही देखकर मुस्करा रही है, तो वह उसे अपने पास बुलाता है .

जाहिद,, इधर आ छोटी बन्दरिया उधर दरवाजे पर क्यू खड़ी हो , इधर आकर मेरे पास बैठ .

गुलनाज ने बूरा सा मुह बनाकर कहा,, आह भाई आप नही सुधरेंगे आप फिर मेरा नाम बिगाड़ रहे है, आप कितने बूरे है नही करनी आपसे बात जा रही हूं मै .

अरे नही बिगाडू अब से तेरा नाम, मै माफी मांगता हूं तुझसे, ले मै कान भी पकड़ रहा हूँ , आ यहा आके बैठ… जाहिद कान पकड़ते हुए गुलनाज से कहा .

गुलनाज,, ठीक है आप माफी मांग रहे है तो माफ कर देती हूं लेकिन उसकी फिस लगेगी, और उसकी फिस है आप मुझे हमारी दुकान पर  जो नये डिजाइन के सूट आये है ना उसमे से आप मुझे एक सूट लाकर देंगे, अब्बा के बिना जाने तब मै आपको माफ करूंगी .

जाहिद,,अरे इतने तो सूट है तेरे पास क्या करेगी एक और सूट का, और एक मिनट अब्बा के बिना जाने क्या मतलब ? क्या तुम मुझसे दुकान पर से चोरी कराना चाहती हो ? 

गुलनाज,, वो अगर अब्बा को पता चला ना तो बहुत सुनने को मिलेगी, आप की तरह वह भी कहेंगे इतनी सूट है उतने सूट है तुम्हारे पास तुम्हारी हवस की खोपड़ी कभी भरेगी नही .

जाहिद,,तो ऐसी बात है मैने सोचा कि .

गुलनाज,, कि मै आपसे चोरी करने को कहे रही हूँ , आपको शम्र नही आती ऐसा सोचते हुए, और हा क्या अब्बा आपको तनख्वाह नही देते ? जो ऐसा सोच रहे है , जरा खर्च किजिये अपनी छोटी बहन पर , एक इकलोती बहन हूँ आपकी इतना तो हक है मेरा ,समझे आप .

जाहिद,,अच्छा मेरी मां अपने पैसो से ही खरीद लाऊंगा तेरे लिए सूट अब यहा आकर बैठ और मेरे सिर मै थोड़ा दर्द है जरा मालिस करदे .

फिर गुलनाज जाहिद के पास जाकर बैठ जाती है और उसके सर पर मालिस करती है तो उसे कुछ याद आता है तो वह कहती है .

गुलनाज,, भाई आपकी तबीयत भी ठीक है , आपको बुखार भी नही है तो आप दुकान पर से जल्दी क्यू आये ? कई अब्बा को झूठ बोल कर तो नही आये ?

जाहिद,, मै झूठ क्यू बोलूंगा अब्बा से , अब्बा ने तो मुझे खुद भेजा है मेरी हालत देख कर .

गुलनाज को उसकी बातो पर यकिन नही होता है तो वह उसे आज  के दिन सारी बात बता देता है नूर से मोहब्बत की बात छोड़कर .

गुलनाज,, आप बेहोश हो गए थे, आपने किसी को बताया नही , कई आपको कोई बिमारी तो नही लग गई, चलिये अब्बा को बता कर किसी अच्छे डॉक्टर से आपका इलाज कराते है, छोड़िये इन हकिमो वकिमो का चक्कर आप अच्छे डॉक्टर को दिखाये .

जाहिद,, ऑ मेरी मां मै बिल्कुल ठीक हूँ , वो तो मै रात भर सोया नही था और सर्दी भी बहुत थी तो मुझे बुखार और बदन दर्द ने जकड़ लिया था , और कमजोरी की वजाह से बेहोश हो गया था, और वैसे भी नूर और उसके अब्बा ने मेरा बढ़िया इलाज करा मै पहले से भी बेहतर महसूस कर रहा हूं .

गुलनाज अपनी उंगली माथे पर रखकर कहती है,, अच्छा उस लड़की का नाम नूर है जिसके लिए आप इतना मुस्कुरा रहे थे , मेरे कमरे मे आने से पहले .

गुलनाज की बात सुनकर उसे झटका लगा ये जानकर कि उसकी होशियार बहन ने पकड़ लिया था कि वह किसी को मोहब्बत करने लगा है , पर ना मानने का बाहना करता है .

जाहिद,, ये क्या बोल रही हो तुम गुलनाज, ऐसा कुछ नही है, मै किसी से मोहब्बत नही करता,तुम अपनी होशियारी अपनी पढ़ाई मे दिखाओ मुझ पर ना आजमाया करो .

गुलनाज मुस्कुरा कर कहती है,, भाई मैने कब कहा कि आप किसी से मोहब्बत करते है , मैने तो ये कहा था कि उस लड़की का नाम नूर है जिसके लिए आप मुस्कुरा रहे थे, मगर अब आपने ही कुबूल कर लिया है तो क्या करे .

तब जाहिद को अहसास हुआ कि उसने क्या बोल दिया , अब वह फस गया था तो वह उसे नूर के बारे मे बता देता है और उसे कहता है कि ये बात घर मे किसी को ना बताये .

जाहिद,, मेरी बहन मेरी प्यारी बहन, मेहरबानी करके ये बात घर मे किसी को मत बताना , वरना मेरी खाट खड़ी हो जायेगी .

गुलनाज,, ठीक है भाई मै नही बताऊंगी किसी को मगर अब मेरी फिस दुगनी नही नही तीन गुना हो गई है , अब आपको मेरे लिए सूट के साथ साथ जूते और चूड़िया भी खरीद कर लना पड़ेगा, वो मेचिंग फिर मै ये अपनी प्यारी जबान पर ताला लगा लूंगी, हा हा हा .

अब जाहिद को उसकी शर्त माननी पड़ी और उसने वादा किया  वो सब लाने का , फिर गुलनाज वहा से चली जाती है .

इधर नूर जाहिद के जाते ही ऊपर अपने कमरे मे आ जाती है, वह सोचती है आखिर क्यो वह जाहिद को अपने  दिल से नही निकाल पा रही, वह अभी तक उससे दूर रहना का सोच रही थी, मगर जाहिद तो उसके घर तक मे दाखिल हो गया, अगर इस तरहा चलता रहा तो वह उसकी मोहब्बत मे अपना मकसद खो बैठेगी और जादूगर जोहरान से मुकाबले से पहले ही वह हार जायेगी, फिर ना जाने कितने जिनो को वह मोत के घाट उतारेगा इसका अन्दाजा भी लगाना मुश्किल है, और फिर वह जादूई ताकत के पागलपन मे इंसानो को भी नही बखसेगा, मै ऐसा नही होने दे सकती मुझे कुछ भी करके उस जादूई ताकत को इसतेमाल करना सिखना होगा .

फिर वह इरादा बना अपनी जादूई ताकत से उस दरवाजे को बनाती है, फिर दरवाजे को खोलकर कर कमरे दाखिल होती है और फिर उस कमरे से दूसरी जगाह का दरवाजा बनाती है फिर उसमे से होती हुए वह उस जंगल मे पहुंच जाती है जो अब विरान और बंजर पड़ा था वह आगे बढ़ती रहती है तो उसे दूर से एक महल नजर आता है जो अब खंडर बन चूका है ,और उसके चारो ओर तरफ छोटे बड़े घर थे जो खंडर बने पड़े थे , और वहा की सभी जगह विरान और खंडरो मे तबदील हो चुकी थी, वहा के पहाड़, वहा की नदिया सब तबाह हो चुकी थी , ये जगह कभी बहुत खुबसुरत थी यहा के दिलकश नजारे देखकर दिलो को मोह लेती थी, यह जगाह कभी जिनो का घर थी, यह जिनो एक खास कबीला था, जो सब जीन कबिलो से अलग था (कुहेद कबिला )मगर यहा के सारे जिन मारे जा चुके थे नूर को छोड़कर और इस जगह को तबाह और बरबाद करने वाला कोई और नही बल्कि जादूगर जोहरान था, ‘ जिसने 20 साल पहले  इस जगह को तबाह और बरबाद किया था और यहा के बचे बाकी जिनो से सोदा कर उन्हे हराकर उनकी जादुई ताकत लेकर उन्हे मार डाला था, और उसमे नुर के असल मां बाप जो कि जिन थे वह भी शामिल थे, आखरी मुकाबला जादूगर जोहरान और नूर के अब्बा के बीच हुआ था जिसमे वह हार गए थे मगर उस मुकाबले मे जादूगर जोहरान भी कुछ हार गया था .

नूर इस जगह को देख अपने घूटनो पर आ गिरी  उसका मन भर आया वह अपने मां बाप को याद कर रोने लगी, उसे याद आते है वो पल जब सिर्फ दो या तीन साल की थी उसकी अम्मी उसको कितनी मोहब्बत से खिलती थी उसकी परवाह करती थी , उसे यहा की वादियो की शहर कराती थी उसे अपने जादू से अलग अलग खुबसुरत चीजो को बनाकर उसको खुश करती थी, उसके बाबा जो इस कोहद कबीले के सरदार थे, वह उसे अपने कंधो पर बिठाकर दूर दूर हवाओ की शहर कराते थे, उसके साथ घंटो तक खेलते थे, उस पर बेहद मोहब्बत लुटाते थे , मगर वह अब इस दुनिया मे नही है और उसका कारण है जादूगर जोहरान, वह बस वहा बैठी रोते हुए याद करती है उस वक्त को जब यह जगह खुशियो से भरी हुई थी .


कहानी जारी है.......✍️