'विनती '
करता हूँ विनती प्रभू करना तुम स्वीकार ।
पंछी मन भया बावरा उडे गगन विशाल ।।
करता हूँ ..........।
ईर्ष्या,द्वेष,क्रोध,मोह,माया ये सारे दुश्मन ।
ऐसे भाव जो उत्पन्न हो उनका करना हनन ।।
करता हूँ ..........।
दया,धर्म के जीवं सहारे तनमन तुम पर वारू ।
जीवन जो अगला मिले वो भी तुम पर वारू ।।
करता हूँ ..........।
ये नैय्या हाथों में तेरे प्रभू तू ही तारणहार ।
सदा रहूँ चरणो में तेरे देना आशीर्वाद ।।
करता हूँ ..........।
'हे ईश्वर'