'मुंदरी'
घड दे रे सनार के एक मुंदरी हो प्यारी।
जड दे नगीना जिसकी चमक हो न्यारी ।।
प्रेम का उसमें लगा दे सोना चाहत की फुलकारी।
तिल का भी खोट न उसम चाहे किमत लेले भारी।।
घड दे रे.........।
पहन जिसे इतराऊ में प्रीतम को रिझाऊ।
सख्या जो मुझसे पूछे उनको में समझाऊँ।।
घडवायी बडे प्यार से तुमको में बतलाऊ।
प्रेम निशानी हे ये मुंदरी वारी वारी जाऊँ।।
घड दे रे.........।