याद कर सिकंदर के हौसले तो आली थे ।
जब गया तो वो दुनिया से दोनों हाथ खाली थे ।।

इस जिंदगी की तेज रफ्तार , इच्छाओं का बढ़ता संसार, हमारे नैतिक मूल्यों का ह्रास होना,मानव का मानव से प्रेम न होना, जिंदगी का एकांकीपन हमे कहा ले जा रहा है हमे सोचना होगा ।
आज समाज मे एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है , किसी के पास समय नही है किसी से मिलने की किसी से बात करने की । पुत्र के पास समय नही है माँ से मिलने का ,पिता के पास समय नही है अपने पुत्र से बात करने का हम कहा जा रहे है क्या कभी हमने सोचा है, क्या कभी हमने आत्म मंथन किया है , नही ? अगर हम जिस रफ्तार से दौड़ रहे है और अगर उस जिंदगी की दौड़ में सबसे आगे हो और सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त कर ले फिर क्या होगा ....हम अपने पीछे किसी को नही पाएंगे जिनके साथ हम अपनी उस सफलता का आनंद ले सके ।।।।।।

Hindi Blog by Harendra Singh : 111169272

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