तेरी यादों में मै नजरबंद।

था मैं इतना अकलमंद,

जो तेरे आने से हुआ छंद विछंद।

तुझे पाने के लिए पढ़े कई प्रेमग्रंथ!

तू थी जैसे राधा, कान्हा की तरह प्रेम किया, पर पा ना सका तुझे ऐसे मेरा दिल हुआ खंड खंड।

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Hindi Poem by Sumit Bherwani : 111263811

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