दोस्तो...
अदृश्य से जब संबंध जुड़ता है।
तो बड़ी मस्ती प्रगत होती हैं
जो प्रमाणित नहीं की जा सकतीं ।
आनंद को सत्य की कसौटी मानना ।
जो आदमी दुखी हो समझना असत्य मे जी रहा है ।
ओर जो आनंद की मस्ती मे जी रहा है ।
समझना सत्य मे जी रहा है ।
ये मत भूलना खुसी और आनंद मे बहोत बड़ा फासला है।
खुशी दो कोड़ी की चीज़ है।
वो क्षण भंगुर है ...