नज़्म:
#यह उदासियाँ..!!!
आज #उदासियाँ बहुत तलाशी,
कम्बख़्त कहीं नज़र नहीं आयीं,
सूनी राहों पे निकल पड़ा,
ख़ुद को उदासी भरा पाया,
बस वहीं ठहर गया...
जो #उदासियाँ हम बड़ी शिद्दत से ढूँढ रहे थे,
वह कम्बख़्त!
दिल के किसी क़ोने में मिली,
#उदासियाँ तो हाथ लग गयीं,
पर वह शख़्स, वह शख़्स नहीं...
यह तोहफ़ा वह शायद!
ज़िन्दगी भर उदास रहने के लिए दे गया,
और फिर इस तरह वह मुझको उदास कर गया..😢
#लेखक :
हैदर अली ख़ान