हर ख़्वाहिश को अपनी ख़ोते ही देखा है,
मैंने कभी #माँ को चैन से सोते नहीं देखा है
अपना दर्द सबसे छुपाकर ही रखती है वह,
मैंने अक़्सर #माँ को तन्हाई में रोते ही देखा है..

#लेखक :हैदर अली ख़ान

Hindi Shayri by Haider Ali Khan : 111365221

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