क्या है ये पैसा,
मानो तो हाथ का मेल या हे ये खुदा का खेल।।
रो रहा है कोई दो वक्त की रोटी के लिए,
तो खेल रहा है कोई पैसो की तिज़ोरी से।।
हो रहे थे बदनाम कभी काले धन वाले,
आज वही बचा रहे जिंदगी बनके रखवाले।।
आता पैसा जब तो साथ लाता है अभिमान,
अपने से छोटो पर हुकूमत कर खुद पर हो जाता है गुमान।।
न मान किसी को अपने पैरो की जूती,
हो गरीब या अमीर सब हे खुदा की कठपुतली।
कभी वक्त था जब नही पाया जाता था पैसो से प्यार,
आज पैसो के लिए ही प्यार करना प्रथा हो गई यार।।
लगाई जा रही है बोली इंसान की पैसो से,
वृद्धाश्रम में छोड़ माँ बाप को, खरीद रहे है बच्चे अनाथाश्रम से।।
#पैसा