बाशिंदां हूं रेगिस्तान का,
#सूखे का मुझे डर नहीं,
भीग जाऊँगा दो बूंदों से,
बरसातो की मुझको जरूरत नहीं।
पर तरसता हूं दो बूंदों को भी,
अब तो वो भी बरसती नहीं,
हो जाएग आदत सूखे की,
ईसे पहल बरसा दो कुछ बुंदे,
वरना सूखे तो पहले से थे,
पर वापस हरे ना हो पायेंगे।