सदैव प्रत्येक परिस्थिती में सकारत्मक सोंच को बनाये रखना । अच्छा सोंचे बेहतर सोंचे।
प्रत्येक समस्या ( Problem) में न उलझते हुए उसके समाधान के बारे में विचार करना ।
क्रोध पर नियंत्रण करना । जिससे मन आंतरिक रूप से शांत और सशक्त होता है। साथ ही भरपूर नींद लेना तथा सोने और जगने का समय निश्चित करना।
प्रतिदिन ध्यान और योगा करना । जिससे मस्तिष्क स्वस्थ और शरीर दुरुस्त रहता है। साथ ही भोजन के साथ कच्ची सामग्री जैसे सलाद, फल, पत्तेदार सब्जियां, रस आदि का प्रयोग करना।
चिन्ता करने की बजाय चिंतन करना ।
आंतरिक व बाह्य रूप से प्रसन्न रहना, चाहे जैसी परिस्थिती हो ।
सभी से अच्छा व्यवहार करना । साथ ही अपने आप से भी प्रेम करना।
प्रतिदिन कुछ न कुछ सीखना, पुस्तक पढ़ना, अपने काम को पूरी शिद्दत से करना जब भी करना।
कार्य को टालने की क्रिया से बचना । जिससे मन भारी होने से बचता है। प्रत्येक कार्य को समय पर खत्म करना।
बेवजह बहस में न पड़ना । साथ ही किसी की बुराई न करना । असत्य का सहारा न लेना ।
अपने प्रति ईमानदार रहना । कम बोलना पर प्रभावशाली बोलना।
धूम्रपान, मदिरापान, व सभी प्रकार के मादाक पदार्थो के सेवन से बचना । इन चीज़ो का मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
ज़िन्दगी के प्रत्येक पल को सजगता के साथ जीना क्योंकि जो भी होता है वो अभी इसी वक्त बिल्कुल अभी में होता है। अर्थात सदैव वर्तमान में जीना।
-आलोक शर्मा