कुम्भलगढ़ के महेलो मे मां जयवंति कि कोख से वो शूरवीर जन्मा था
वीर प्रसविनी. विर मेवाड़ धरा पर भीलों संग किका बन बचपन बिता था, वो एकलिंग दीवान ही तो महाराणा प्रताप कहलाया था। स्वामीभक्त चेतक पर शूरवीर सवार जब होता था. मूंछो के ताव ओर फौलादी सिने को देख दुश्मन भी थर थर कापता था, वो विरशिरोमणि ही तो मेवाड़ी राणा प्रताप कहलाया। गोगुंदा मैं राज्याभिषेक होते ही मातृभूमि कि रक्षा का भीषण प्रण ले जिसनें महेलो को छोड़ था.घास पर सोता, पतल दोने पर भोजन कर जंगल मे वो रहता था, वो दृढ़वचनो को सरदार ही तो महाराणा प्रताप कहलाया।
राष्ट्रीय गोरव, अखंड स्वाभिमान के प्रतिक भारत की स्वतत्रंता संग्राम के पहले नायक हिदूआ सूरज मेवाड़ रत्न प्रात: स्मरणिय विर शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंहजी के जन्म जयंती पर महाराणा प्रतापसिंह को कोटि कोटि शत् शत् नमन🙏🙏