बचपन था अनोखा हमारा
जिसमे हैं एक अनोखा अहेसाश
मा के उस विनोदी सवभाव से हमने
शिख ली दुनियादारी की
मा के उस आंचल में बिताया हमारा बचपन
बड़े जो हुए तो उस आंचल को ही भूल गए
जब आई कोई परेशानी तो
याद आया मा का वो आंचल
जिसमे भूल जाते थे सरी परेशानी।
#विनोदी