#शुरुआत
जो होना था वह हो चुका था। वृद्ध ससुर बहू का चेहरा देख रहे थे , लग रहा था कल की तो बात थी जब वह इस घर में आई थी। और अचानक से ही सब कुछ खत्म हो गया था। लगातार उधेड़बुन में ही था पूरा परिवार। सभी परिवार के मुखिया ससुर ने ननंद को आदेश दिया - इसके पेपर्स और सर्टिफिकेट्स ले आओ। परिवार बैठकर बातचीत करने लगा। बहू के पिता को भी बुलाया गया।
निर्णय लिया गया कि बहू का एडमिशन बीएड कोर्स में करवाया जाए ताकि उसका मन भी लगा रहेगा और वह आत्मनिर्भर बनेगी।
फार्म भरने के लिए फोटो की खोज शुरू हुई। सारे पासपोर्ट साइज फोटो उसे एक नवविवाहिता बता रहे थे। देवर ने दृढ़ता से कहा - " भाभी की जीवन की नई शुरुआत उसके आज के नए फोटो से ही होगी।"
वृद्ध कातर ससुर के मुंह से भी निकला - " आज से यह मेरी बेटी है बहू नहीं , आज से इसकी पूरी जिम्मेदारी है हमारे परिवार की है।"
उसके जीवन की एक नई शुरुआत हो चुकी थी।