जब भी आती उनकी पाती,
तब फिर वह कैसे रुक पाती?
सारे घर को लीपा पोता,
हरदम ऐसा ही था होता।

कल जब फिर आई थी चिठ्ठी,
वह आएंगे परसों,
हर पल उसको लगता जैसे,
बीत रहे हों बरसों।

अकुलाई बैठी दरवाजे,
सुनती थी हर आहट,
पलट-पलट कर निरख रही थी,
घर की नई सजावट।

तभी किसी ने पीछे से आकर,
मूंदी उसकी आंखें,
जड़़ सी हो गई देह,
रुक गई आती जाती सांसें।।

#Ornamental

Hindi Poem by Yasho Vardhan Ojha : 111459480
Bhuwan Pande 4 years ago

बहुत सुंदर भाव व्यक्त किए हैं

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत सुंदर...👌👌

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