#मिट्टीकी

बरसों से मैं..सूखी मिट्टीकी
तुम सावन बनके क्या आए ??
मेरा अंग..अंग..भींग गया..!!

Hindi Romance by shekhar kharadi Idriya : 111510423
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

आदरणीय बृजमोहनजी आपकी कृपादृष्टि का ये सब परिणाम है, इसलिए ऐसी प्रोत्साहन पूर्ण टिप्पणी के लिए खूब खूब धन्यवाद..💐👏

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

दिल से धन्यवाद पारुलजी..💐👏

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

दिल से धन्यवाद मित्रश्रेष्ठ..💐👏

Brijmohan Rana 4 years ago

कितने करुँ बखान तेरे में । शब्द भी कम पड जाते है ।। इतना सुदंर लिखते हो जी । मनमयूर नाच उठता है ।। तुमसा न कोई लेखनीवाला । इस जग में नही पाता हूँ ।। इसलिए तुम्हारी लेखनी को । शत् शत् शीश झुकाता हूँ ।। सर्वश्रेष्ठ ,वाहहहहहहहहहहहह ।

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