इश्क़-इश्क़ है...⊙

उसका बातों-बातों में...
अपने आप के होने का श्रेय...
मुझे देकर ये कहना...
के #प्रेम अगर...
किसी इंसान को...
परिभाषित कर सकता...
तो यक़ीं मानिए...
वो तो आपकी...
छवि के निकट भी...
न खड़ा हो पाता...
उसकी इसी तरह से...
भोली-भाली बातों में...
बिखरते जाना...
वहीं उसकी #रूह_की_गलियों में...
मेरा खुद को तलाशना...
मेरा #ज़िक्र_उसके_होंठों_से ...
ऐसे लगने लगता है...
जैसे ये जीवन...
केवल उसी को समर्पित है...
और मेरा #यूँ_बेसुध सा होना...

#इश्क़_है

Hindi Poem by Ridj : 111624852

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