तु हवा के जैसे आर-पार हो जा,
आ, मेरे भीतर से गुजर जा।
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दोनों में से एक तो होना ही होगा तुम्हें,
रोग हो जा या इलाज हो जा।
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मैं चाहने से कभी न कतराऊं,
चाहत का ऐसा प्रकार हो जा।
❣️
मैं बना पाऊं कभी अपना हराभरा व्यक्तित्व फिर से,
तु बस कभी मुशलाधार बन जा।।
...
❣️
...Abhipsha...