खत्म हो जाती हैं बातें एक उम्र के बाद।
बेहिसाब स्वप्न, बेलगाम ख्वाहिशें,
उन्मुक्त खिलखिलाहट,अनवरत बातें।
आकांक्षाओं का विस्तृत आसमान
पंख पसारे बिंदास,बेपरवाह उड़ान।
जिम्मेदारियों,कर्तव्यों के तले,
दबने लगते हैं हम ज्यों -ज्यों,
विस्मृत करने लगते हैं खुद को,
अपनी ख्वाहिशों को त्यों- त्यों।
कुछ कहने-करने में डरने लगते हैं,
स्वयं को ही हमेशा छलने लगते हैं।
धीरे- धीरे हम थकने लगते हैं,
शब्दकोश में शब्द चुकने लगते हैं।
औऱ एक दिन हम हो जाते हैं मौन,
अख्तियार कर लेते हैं ख़ामोशी,
क्योंकि,ख़त्म हो जाती हैं बातें,
उम्र के आखिरी दौर में।।

रमा शर्मा ' मानवी'
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Hindi Poem by Rama Sharma Manavi : 111743342
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

यथार्थ प्रस्तुति

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