हमारे प्रेम की डोर है ये, रंगीन धागा नहीं,,,
एक अहसास से बढ़कर है ये, कोई दिखावा नहीं,,,
बचपन से आजतक का प्यारा सफर समाया है इनमें,,,
रूठना, मनाना,, हँसना- हँसाना सब याद आया इसमें,,
हर रोज जिनकी सुबह चाय के बिना कभी ना होती है,,,
प्यार,विश्वास ही है कि आज राखी से पहले भैया पीते एक बूंद पानी नहीं,,,
जिन्दगी की दौड़ में जब हम खुद से ही कहीं दूर हो जाते हैं,,,
ये त्यौहार ही तो हैं जो रिश्तों को नई साँस दे जाते हैं।।।।