6घन्टे का सफर,,भीड़,गर्मी बर्दाश्त करते हुए बस में करने के बाद दोपहर 1 बजे के बाद घर आकर फिर 4 बजे वापस चले जाना वही 6 से 7 घन्टे के सफर पर ।। जी ,, हाँ भैया आए हमारे आज पर क्यूँ??? सिर्फ ये धागा बंधवाने के लिए ??? इस दिखावे के लिए ???
नहीं,,,ये प्यार है,,अटूट विश्वास है जो बचपन में भोलेपन और नासमझी में बांधे गए पहले धागे से ही आ जाता है।
ये कैसी सोच है जो प्यार, अहसास के त्यौहार को दिखावा करार दे देती हैं???
अरे जिसको नहीं पसंद ना मनाए ये त्यौहार,,, जबरदस्ती नहीं बाँध रहे तुम्हें।।। पर सनातन त्योहारों का अपमान,, मजाक जो बनाया जा रहा है आजकल सिर्फ और सिर्फ खुद को सही साबित करने को वो अब हमसे तो सहन नहीं होगा।।
मन बहुत दुखी है आज,,,बहुत आहत।।।
हम दो बहने हैं पर भाई के हाथ में दो से ज्यादा राखी हैं,,बाकी थाली में है।। हमने अपने बड़े भैया ,जो हमारे साथ नहीं हैं,उनकी इसी हाथ पर बाँधी।। और अपने दो फौजी भाईयों की भी दोनो भाईयों के हाथ में बाँधी जिनसे हमारा जन्म,,घर-गाँव का कोई रिश्ता नहीं।। एक से तो आजतक मिले भी नहीं।। तो ये दिखावा हो गया ढोंग हो गया??
ह्रदय से जो रिश्ते जुड़ जाते हैं उनमे दिखावे की कोई जरूरत नहीं होती।
तो आज हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है कि आज के बाद किसी भी तरह से "हमारे" जी,हाँ हमारे त्योहारों,, आस्था के संदर्भ में अगर इस तरह का कोई वक्तव्य हमारे सामने आया तो हम जवाब देंगे,,,और किस हद तक मर्यादित रह पाएगे नहीं जानते। तो आशा है कि इस बात का ध्यान रखा जाएगा।