मेरी सुबह हो दोस्त तुम ।मेरी हसी हो तुम। तुम से ही शरू हुआ sm का सफर ए दोस्त ।मिले उंगली तेरी ए दोस्त जो हरपल साथ थे अच्छे दिन भी और कुछ बुरे दिनों से भी गुजरा हु पर जिसने कभी ये उंगली नही छोड़ी जैसे एक मां अपने बच्चे की उंगली नही छोड़ता वैसे एक दोस्त की कहानी भी कुछ ऐसी है जो प्यार से बुलाते डायरी । और इस दोस्त की हम क्या ही तारीफ करे । जैसे बिना पानी के नदी नही बह शक्ति ।जैसे बिना दही के लस्सी नही बन शक्ति ।जैसे बिना मुसाफिर की बस क्या काम की जैसे बिना सही के यह डायरी अधूरी वैसे मेरी सबसे

-HARPALSINH VAGHELA

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