अपनों का साथ रहे ..........
बस, और कोई चाहत नहीं , इस धाविका बनी ज़िंदगी में
अपनों से रूबरू होने की फ़ुरसत नहीं इस ज़िंदगानी में
सब आगे ही भाग रहे हैं जीवन में कुछ पाने को
कुछ पाने की चाह में अपनों का साथ गँवाने को
जीते जी अपनों से मिल लो, चार दिन की ज़िंदगानी है
फिर पछतावा ही रह जाएगा , एक दिन तो रवानगी है

Hindi Blog by उषा जरवाल : 111807663

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