बंधुत्व
******
आज हम बंधुत्व की बात
न करें तो ही अच्छा है,
बंधुत्व के नाम पर ढकोसला
न ही करें तो अच्छा है।
आज हम बंधुत्व के नाम पर
खुद गुमराह हो रहे हैं,
जो अपने हैं उन्हीं को पहले
किनारे कर रहे हैं।
सच कड़ुआ होता है
मिर्ची सा लगना ही है,
भाई भाई के बीच देखिए
दीवार खिंचता जा रहा है।
माँ बाप का आज भला
करते हैं हम कितना सम्मान,
बंधुत्व भाव का कर रहे हम
कितना नाम बदनाम।
बंधुत्व भाव अब महज
छलावा बन गया है,
बंधुत्व का क्रियाकर्म
जैसे नजदीक आ रहा है।
बंधुत्व भाव अब आज महज
दिखावा बनकर रह गया है
छलावे के नाम पर बंधुत्व का
अस्तित्व छला जा रहा है।
बंधुत्व का भाव जागृति रखना है तो
हमको पहले खुद.जागृति होना होगा,
बंधुत्व की आड़ में खुद हमें
छले जाने से बचना होगा।
तब बंधुत्व का हम राग अलापें
तो सबको अच्छा लगेगा,
वरना बंधुत्व के नाम पर
सिर्फ शर्मसार ही होना होगा
बंधुत्व का नाम सिर्फ बदनाम होगा।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111814905

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now