है सारे भाव तुमसे ही
बँधना भाया है तुममे ही
मिलो या मिलो नही |
मगर ! न बाँधना कभी
और कहीं |
यही एक भय है मानो
इच्छा भी |
........
प्रेम

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111814917

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