स्वतन्त्र हुआ देश मना रहा पचतहरवाँ साल
जन गण मन भारत का भाग्य हो बेमिशाल

हर दिन का उत्सव आज बना अमृत महोत्सव
शान से लहराओ तिरंगा सम्मान करेगा सारा विश्व

शुभकानाये, लहराता रहे तिरंगा भारत का प्यारा
गले लग कहे हम चमकता रहे जय हिंद का सितारा

पँद्रह अगस्त याद आये, उस शुभ रात्रि का कमाल
तोड़ी गुलामी की जंजीरे हुये स्वतंत्र, भारत के लाल

दर्द दिल में एक ही रहा देश दो भागों में बंट गया
भविष्य का यह दर्द बहुत कुछ अनचाहा सा दे गया

देश के दिल ने सह्रदयता से ये दंश स्वीकार किया सम्मान के साथ अत्यचारी अंग्रेजो को बाहर किया

बहुत कुछ खोने के बाद मिलता वो अनमोल होता
स्वतंत्र है सोच कर दिल में अहसास विशाल होता

जिनके बलबूते पर स्वतन्त्र है देश के वो शहीद है
जिन्होनें दी कुर्बानियाँ हमारी कई जन्मों की याद है

पर देश उतना खुश नहीं जितने हम खुश हो रहे
सालों बाद भी चंद अमीर बाकी गरीब ही रह रहे

सवाल सत्ता के दीवाने न समझे खुद में मशगूल है
वक्त कह रहा संभल जाये अति गरीबी दावानल है

जश्न तभी मनेगा जब कोई लाचार न दिख पायेगा
गरीबी का नाम लेकर कोई नेता महल में न सोयेगा

कर्तव्य और अधिकार दोनों में ही स्वतंत्रता समायी
नमन उनको देश-भक्ति जिन्होंने आत्मा से निभायी

देश हमारा हम देश के फिर क्यों उग्र अशांत हो रहे
बेहतर यही है देशहित में, देश दिल ओ जान में रहे

तिरंगा लहराता रहे विश्व में भारत का सम्मान रहे
गर्व हम हिंदुस्तानी है, तिरंगा दिल में लहराता रहे
✍️कमल भंसाली

Hindi Poem by Kamal Bhansali : 111825419

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