हिमालय को मैंने छुआ
तो वह बहुत ठंडा था,
फिर मैंने कान लगाया
सुनायी पड़ा
" हिमालय बचाओ,हिमालय बचाओ"
मैं घबराया, हड़बड़ाया
शीघ्रातिशीघ्र एक पौधा रोप
भाग आया वातानुकूलित कार्यालय में।

-- महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111831272

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