#Mahalaxmi

प्रगट हुई सागर मंथन से स्वर्ण कलश ले हाथ में,

जीवन को सुख - वैभव देने,

आई वह इस जग में।

दुःख-अंधकार को दूर भगा कर,

सुख -प्रकाश जीवन में भरती।

धनधान्य स्वरूपा यह महालक्ष्मी

हर नारी में निवास करती।

Hindi Poem by Nidhi Soni : 111836496

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