इतना भी आसान नहीं
कहना किसी को अलविदा
चाहे वो निर्जीव वस्तु हो या इंसान।
वर्ष 2022 कहने को है एक साल
लेकिन इस एक वर्ष में इसने हमें दी
365 दिन अपनों संग जीने की सौगात।
कई बार गम में आंखें जब डबडबाई
अगले ही पल देकर खुशियां की वजह
तुमने कर दी उसकी भरपाई।
ऐ जाते हुए वर्ष! मुझ पर तेरी नेमतें नहीं है कम
कैसे करूं मैं तेरा शुक्राना
दिया तूने मुझे खट्टे मीठे अनुभवों का अनमोल खजाना।
लेकिन यही है इस प्रकृति का नियम
जो आया है आज, वो जाएगा कल
जाने वाले की बस यादें रह जाती है,यह सत्य है अटल।।
-Saroj Prajapati