यह इंतजार की बेला है, मन बिल्कुल आज अकेला है।
जाने कब प्यास बुझे मन की, अब दिल ने भी ये बोला है।।
पावन मिलन की आस लिए, है इंतजार इन आंखों में।
जाने कब नयन मिले उनसे, जादू है उनकी आंखों में।।
बीते हैं दिवस कई रैन गईं, न बोल सुने उनके हमने।
धुंधलाती सी आवाजें हैं, मिश्री है उनकी बातों में।।
वो भूल गए हैं जब हमको, क्यों आती हैं उनकी यादें।
ये मन तड़पे दिल भी तड़पे, तड़पाती हैं उनकी यादें।।
आंसू हैं बरसते आंखों से, कानों में भी सूनापन है।
कब छवि दिखे इन आंखों को, और शब्द पड़े इन कानों में।।
#U .V.RUDRA