जीवन के हर लम्हों के लिए
तुम्हारी यादों को संजोता हूं।
हो मुलाकात तुमसे ख्वाबों में
मैं ढलते शाम को सोता हूं।
है दीवारों पर लगी तस्वीर तुम्हारी
एक तकिए के नीचे रखता हूं
मोबाइल के स्क्रीन पर भी हो
आंखें मूंदने से पहले तकता हूं
सिर्फ! तुम ही आओ ख्वाबों में
मैं वो सारी चीजें बोता हूं
हो मुलाकात तुमसे ख्वाबों में
मैं ढलते शाम को सोता हूं।
मेरा दिन गुजरता तुमसे ही
तुमसे ही गुजरी, सब रातें
जब सामने तुम ना होती तो
ख्यालों में तुमसे, मैं करता बातें
कभी खुद का उतना हुआ नहीं
जितना मैं तुम्हारा होता हूं
हो मुलाकात तुमसे ख्वाबों में
मैं ढलते शाम को सोता हूं।
© Vishal Anay