ह्रदय को किसीकी जरुरत नहीं
ह्रदय के पास आंखें हैं, अपनी पसंद का नज़ारा देखने के लिए उसे चर्मचक्षुओं की जरुरत नहीं
ह्रदय के पास कान है अपना पसंदीदा गीत सुनने के लिए
किसी सन्नाटे या अत्यंत शोर की उसे कोई परवाह नहीं
ह्रदय के पास पंख हैं अपनी पसंद की जगह पहुंचने उसे पांव की जरुरत कहा
बस एक चीज नहीं है ह्रदय के पास
अपनी आवाज़
वो अपनी बात किसीको समझा नहीं सकता कह नहीं सकता
ओ प्यारे ह्रदय तुम्हें क्या जरुरत है खुद को समझाने की
तुम निज में मस्त रहो ना
ये तेरे अपने कहलानेवाले लोग तुझे चोट के अलावा कुछ नहीं देंगे
नहीं समझेंगे तो कम चोट दे पाएंगे
लेकिन अगर तुम्हें समझ लिया तो दुखती रग दबाएंगे

Hindi Poem by Srusti : 111866027

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