{ दिखावा }
🌟🌟🌟
घन- घोर रात
उसी रात में नीकली बारात,
किसी का पेट फूला हुआ था
तो, किसी का मूंह ...
कोई अंदर से हंस रहा था
तो, कोई दिखावा कर रहा था,
कोई दिखावे के लिए नाच रहा था
तो,कोई अंदर ही अंदर मर रहा था,
कोई परायापन महसूस कर रहा था,
तो, कोई अपनेपन को ढूंढ रहा था,
सच में.....
सब कुछ तो बदल रहा था
अब, इन्सान भी बदल रहा है,
क्योकि, अब स्वाथँ आ गया है,
बस, इन्सान दिखावा करता है ....
और सिर्फ दिखावा ही करता है ...!!

-Pari Boricha

English Poem by Pari Boricha : 111877481
Pari Boricha 11 months ago

Jai bhole baba 🙏

Pari Boricha 11 months ago

Thank you sir 🙏

B________Gehlot 11 months ago

........✍️👌 Jay bhole baba

Sarvaiya Raa 11 months ago

Bahu Sundar su dekhav karvo khabar nay . Ek samay badhu rakh thay javanu se

The best sellers write on Matrubharti, do you?

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