शाम तो होने दो, शराब तो पीने दो,
इतना ना सताओ, मुझे चैन से जीने दो।
वो यादें जो आँखों में बस कर रहीं हैं,
कुछ देर को सीने में चुपचाप रहने दो।
मक़सद नहीं हर बार ग़म से लड़ जाना,
कभी-कभी टूट कर भी तो जीने दो।
महफ़िल में हँसना कोई आसान नहीं,
परदा न उठाओ, ये नक़ाब ही रहने दो।
लबों पे शिकायत नहीं, फिर भी दर्द है,
इस खामोशी को थोड़ा सा कहने दो।
'दिल' कह रहा है आज कुछ पुराना सुने,
साज़ को छेड़ो ना, सुरों को बहने दो।