घर का होना भी जरूरी होता है.......
जैसे परिंदे को साय में घर की जरूरत होती है.......
वैसे ही हमें भी घर पहुंचने की जल्दी होती है.......
बस घर बैठे मां बाप जरूरी होते है.......
उनकी इंतेज़ार करती आंखे......
उनका बिन कहे सब कह जाना........
सब कुछ समय तक होता है......
तो जो है उसकी कदर करो जाने के बाद याद के इलावा कुछ नहीं होगा.......
फिर तुम तो होगे पर न वो लम्हा होगा.......