Hindi Quote in Motivational by Raju kumar Chaudhary

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🔥 राजु कुमार चौधरी — कलम से किस्मत बदलने वाला एक नाम ✍️
📍 प्रसौनी, पर्सा (नेपाल) से निकली आवाज, जो दिलों तक पहुँचती है।

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श्रापित राजा की कथा – “वानर विवाह”

भाग 1: जंगल की गलती
बहुत समय पहले की बात है।
एक प्रतापी राजा शिकार के लिए जंगल गया था। वहाँ उसने अनजाने में एक तपस्वी की गहरी साधना में विघ्न डाल दिया।
तपस्वी ने आँखें खोलीं, गुस्से से लाल हुए और बोले –
"हे मूर्ख राजा! तूने मेरी तपस्या भंग की है। अब तुझे श्राप देता हूँ – तू वानर (बाँदर) बन जाएगा!"

राजा तुुरंत ही एक वानर में बदल गया।

राजा गिड़गिड़ाया:
"मुझे माफ कीजिए, मुनिवर! मुझसे भूल हुई है।"

तपस्वी थोड़ा शांत हुए और बोले –
"इस श्राप से तुझे मुक्ति तब मिलेगी, जब तू एक सुंदर कन्या से विवाह करेगा और एक बालक उत्पन्न होगा। लेकिन याद रखना, वह बालक भी वानर ही होगा!"


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भाग 2: अप्सरा जैसी कन्या
वर्षों बीत गए। राजा अब जंगल में ही रहता, लेकिन उसके मन में अब भी मानवता थी।

एक दिन, वर्षा के मौसम में, एक सुंदर युवती – जो किसी अप्सरा से कम न लगती थी – जंगल में भटकती हुई वहाँ पहुँची। उसका नाम था अनुप्रिया। वह एक साध्वी थी, पर नियति उसे वहाँ खींच लाई थी।

राजा जो अब बाँदर बन चुका था, लेकिन उसमें अब भी राजा का भाव था — उसने अनुप्रिया की रक्षा की, सेवा की। धीरे-धीरे अनुप्रिया को उस वानर में कुछ खास दिखने लगा।

एक रात:
एक सपना आया — जिसमें स्वयं देवताओं ने अनुप्रिया को कहा,
"यह वानर कोई साधारण जीव नहीं, एक श्रापित राजा है। विवाह से उसका उद्धार हो सकता है।"

अनुप्रिया ने उसकी सच्चाई जान ली और विवाह स्वीकार किया।


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भाग 3: वानर पुत्र और शेष यात्रा
विवाह के एक वर्ष बाद, एक पुत्र उत्पन्न हुआ – लेकिन वह भी वानर था।
अनुप्रिया दुखी थी — वह सोचती थी कि अब क्या यह भी श्रापित रहेगा?

राजा (वानर) ने कहा,
"यह श्राप का भाग है, पर जैसे जैसे समय गुज़रेगा, सत्य प्रकट होगा।"

12 साल की आयु में, जब पुत्र का नामकरण संस्कार हुआ — तभी आकाश से एक दिव्य प्रकाश उतरा।
तपस्वी फिर से प्रकट हुए।
"राजा, तेरा श्राप अब समाप्त हुआ। तू अब मानव रूप में लौट सकता है।"

राजा फिर से अपने वास्तविक रूप में लौट आया। और उसका पुत्र भी एक सुंदर, तेजस्वी बालक बन गया।


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अंतिम भाग: नया युग

राजा, अनुप्रिया और उनका पुत्र फिर से अपने राज्य लौटे।
लोगों ने उनकी कहानी सुनी और उन्हें "वानर-राज" की उपाधि दी।

कहानी का संदेश:

> जो श्राप होता है, उसमें भी भविष्य की कोई छुपी योजना होती है। प्रेम, धैर्य और विश्वास से हर शाप भी वरदान बन सकता है।

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