जो मन के भीतर झांक पाते
तो तुम जान लेते की,
मैं क्या सोचती हूं
जिन समंदर सी गहरी आंखों की तुम बातें करते हो ,
काश तुम उनके अंदर देख पाते तो जान लेते की हर रोज इस समंदर में
कितनी ही लहरें ऐसी उठती हैं
जो इन आंखों से बाहर आना चाहती है,
जिन खिलखिलाती होठों की हंसी तुम्हे इतनी पसंद है, काश तुम उस हंसी के पार देख पाते
तो तुम जान लेते की उस हंसी के पीछे की उदासी कितनी गहरी है
पर तुमने कभी नहीं देखा,
इन आंखों से बहती समंदर की लहरों को
तुमने कभी नहीं देखा ,
हंसती होठों की उदासी को
तुमने देखा नहीं या देख कर अनदेखा किया ये तो मैं नहीं जानती ,
पर मैं अब भी सोचती हूं कि काश
तुम जानना चाहते तो जान लेते की,
मैं क्या सोचती हूं।।
k_nandini