"यादें और तन्हाई"
याद उसकी आती रही रात भर,
दिल मेरा दुखाती रही रात भर!
हर-सू चांदनी, ये बारिश की बूँदे
रह-रह कर सताती रही रात भर!
उसके और मेरे प्यार भरे गीत, नग्मे,
मै तन्हा गुनगुनाती रही रात भर!
वो काज़िब, उसकी बेवफाई के किस्से,
इस चाँद को सुनाती रही रात भर!
खलिश, बेचैनी, टूटे ख्वाब, तड़प,
मै दर्द मे कराहती रही रात भर!
बेदर्द का नाम वरक-ए-दिल पर मै,
लिख-लिख के मिटाती रही रात भर!
क्या सोचा था, क्या हुआ, सोचकर,
चश्म तकिया भिगोती रही रात भर!
"कीर्ति" अकेली नही थी इस दर्द मे,
ये तन्हाई साथ रोती रही रात भर!
Kirti Kashyap_"एक शायरा"✍️